Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ક
अनुयोगद्वारसूत्रे
तच्च नामसंख्या स्थापनासंख्येत्यादि अष्टविधम् । तत्र नामसङ्ख्या यस्य खलु जीवस्य वा अजीवस्य वा जीवानां वा अनीवारां वा तदुभयस्य वा तदुभयेषां वा संख्या इति नाम क्रियन्ते सा बोध्या । तथा-स्थापनासंख्या - यत्खलु काष्ठकर्मणि वा पुस्तकर्मणि वा चित्रकर्मणि वा अन्यत्रापि वा संख्येति स्थापना स्थाप्यते सा स्थापनासंख्या नामस्थापनयोः को विशेषः ? इत्याह-नाम यात्र
विचार में इस शब्द से जहां संख्याशब्द का और जहां शंख शब्द का अर्थ घटित होता हो अर्थात् लागू पडता हो वहां २ उस उस शब्द की योजना कर लेनी चाहिये। (से किं तं नाम संखा) हे भदन्त ! नाम संख्या क्या है ? (नाम संखा) नाम संख्या (जस्स णं जीवस्स वा जाव से तं नाम संखा ) जिस एक जीव का अथवा अजीव का अथवा अनेक जीवों का या अजीवों का अथवा एक जीव अजीव दोनों का या अनेक जीव, अजीव इन दोनों को 'संख्या' ऐसा जो नाम रख लिया जाता है, वह नामसंख्या है | ( से किं तं ठेवणासंवा) हे भदन्त ! स्थापना संख्या क्या है ? (ठवणासंखा) स्थापना संख्या (जपणं कटुकम्मे वा) काष्ठ कर्म में (पोकम्मे वा जाव से तं ठवणसंखा) अथवा पुस्तकर्म में, या किसी चित्र में अथवा और भी किसी वस्तु में ' संख्या' इस रूप से जो आरोपित किया जाता है, वह स्थापना संख्या है ।
शंका - ( णामठवणागं को पह विसेसो) नाम और स्थापना में क्या अन्तर है ?
અથ ઘટિત થતા હાય ત્યાં સખ્યા અથ તેમજ જ્યાં શાખ અથ ઘટિત થતા હાય ત્યાં શખ અર્થ કરવા योग्य छे. (से किं त नामसंखा ) हे महत! नाम संख्या शुं छे ? ( नाम संखा) नाभ सभ्या ( जस्स णं जीवस्त्र वा जाव से तं नाम संखा) ने थोड व अथवा આ અજીવનુ' અથવા ઘણા જીવાનુ અથવા ઘણા જીવ અજીવ એ બન્નેનુ 'संख्या' भावु' के नाम रामवामां आवे छे. ते नाम संख्या छे. (से कि त ठवणा संखा ) ३ लहंत! स्थापनासंख्या शु छे ? (ठवणासंखा) स्थापनासंख्या, (जण्णं कटुकम्मे वा) 3. मां (पोत्थकम्मे वा जाव से त ठवणसंखा) अथवा स्तम्भ मां अथवा अध्य चित्रमां अथवा गमे ते वस्तुभां સખ્યા' આ રૂપમાં જે આરાપ કરવામાં આવે છે, તે સ્થાપનાસ’ખ્યા છે.
For Private And Personal Use Only