Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अनुयोगद्वारसूत्रे अपि तावन्तो भवन्ति, ततः परम् अजयन्यानुत्कर्ष काणि स्थानानि यावत् उत्कर्ष के युक्तानातक न प्राप्नोति । उत्कर्ष के युक्तानन्तक कियद् भवति ?, जघन्यकेन युक्तानन्त केन अभवसिद्धिका गुणिता अन्योन्याऽभ्यासः रूपोनः उत्कर्षक युक्तानन्तकं भवति, अथवा जघन्यकम् अनन्तानन्तकम् रूपोनम् उत्कर्षक युक्ता नन्तक भवति । जघन्यकम् अनन्तानन्तकम् क्रियद् भवति ?, जघन्यकेन युक्तानन्तकेन अभवसिद्धिका गुणिता अन्योन्याऽभ्यासः प्रति पूर्णो जघन्यकम् अनन्तानन्तक का होता है। (अभवलिदिया वितच्या होति) अभवसिद्धिक भी इतने ही हैं । तात्पर्य कहने का यह है कि-'जघन्ययुक्तानन्तक में जितना प्रमाण सर्षपों का होता है उतना ही प्रमाण केवली भगवान ने अभवसिद्धिक जीवों का कहा है। (ते परं अजहण्णमणुक्कोस. याई ठाणाई जाव उक्कोसयं जुत्ताणतयं ण पावइ) जघन्य युक्तानन्तक के बाद अजघन्य अनुस्कृष्ट युक्तानन्तक के स्थान होते हैं-और ये स्थान क्रमशः एक एक सर्ष परूप अंक की वृद्धि होते २ वहाँ तक पढते जाते हैं कि-'जय तक उत्कृष्ट युक्तानन्तक का प्रमाण नहीं आ जाता है।' (उक्कोसयं जुत्ताणतयं केवाइयं होइ) हे भदन्त ! यह उत्कृष्ट युक्तानन्तक कितना होता है ? (जहण्णएणं जुत्ताणतएणं अभ. वसिद्धिया गुणिया, अण्णम भासो रूणो उक्कोसयं जुत्ताणतयं होह) जघन्य युक्तानन्तक से अभवसिद्धिकों का गुणा करो अर्थात् जघन्ययुक्तानन्तक का अन्योन्याभ्यासरूप से गुणा करो इस प्रकार करने
धन्य युस्तानतर्नु थ य छे. (अभवअिद्धिया वि तइया होंति) समय સિદ્ધિક પણ આટલા જ છે. કહેવાનું તાત્પર્ય આ પ્રમાણે છે કે “જઘન્ય યુકતાનંતકમાં જેટલું પ્રમાણ સર્ષનું હોય છે, તેટલું જ પ્રમાણે કેવલી मसान्ना मससिद्धि वानु उपामा मयु छ. (तेण परं अजहण्णमणुक्कोस याइं ठाणाई जाव उस्कोमयं जुत्ताणतयं ण पावइ) धन्य युतानताना સ્થાન હોય છે-અને આ સ્થાને નંતક પછી અજઘન્ય અનુકૃણયુકતા કમશા એક એક સર્ષપ રૂ૫ અંકથી વૃદ્ધિ કરતાં કરતાં ત્યાં સુધી વધતાં જવું જોઈએ કે “જ્યાં લગી ઉત્કૃષ્ટ યુક્તાનંતકનું પ્રમાણ આવી ન જાય.” (उस्कोसयं जुत्ताणतयं केवइयं होइ ?) 3 स! bट युतानतर्नु प्रमाण तुं य छ १ (जहण्णरणं जुत्ताणतएणं अभवसिद्धिया गुणिया अण्णमण्णब्भासो स्वूणो उक्कोसयं जुलाणतयं होइ) धन्ययुतान तथा અભવસિદ્ધિક ગુણાકાર કરે. એટલે કે જઘન્ય સુકતાનતકને અન્યા
For Private And Personal Use Only