Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगद्वारसूत्रे लात्मके घटे ग्रीवा वर्तते, सा च आत्मभावेऽपि वर्तते । ननु 'कुण्डे बदराणि' इति यत्परसमवतारस्योदाहरणं प्रदर्शितम्, इदमपि तदुभयसमवतारस्यैवोदाहरणं भवितुमर्हति, कुण्डे वर्तमानानां बदराणां स्वात्मन्यपि वर्तमानत्वादिति चेत्, श्रृणु, अत्र स्वात्मवृत्तेर्विवक्षामकृत्वैव मुमन्यासः कृतः । वस्तुतस्तु द्विविध एवं समवतारो युक्तः, अत एव सूत्र कारः स्वयमाह-'अहवा' इत्यादि । अथवा-ज्ञायक शरीरमव्यशरीरव्यतिरिक्तो द्रव्यसमवतारो द्विविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-आत्मसमबतारः तदुभयसमवतारश्चेति । पू#क्तरीत्या परसमवतारस्यासंभवितामुपलक्ष्य है और वह स्तम्भ अपने रूप में भी रहता है । अथवा जैसे धुन्धोदरकपालरूप घट में ग्रीश रहती है और वह ग्रीवा आत्मभाव में भी रहती है। __ शंका-'कुण्डे पदराणि' ऐसा जो उदाहरण आपने परसमवतार का दिया है, सो यह उदाहरण तदुभयसमवतार का ही होना चाहिये । क्योंकि जिस प्रकार वे कुंडमे रहते हैं, उसी प्रकार से वे अपने आत्म भाव में भी रहते हैं ?
उत्तर-सुनों, यह जो दृष्टांत परसमवतार का दिया गया हैवैसे यदि विचार किया जावे तो समवतार दो प्रकार का ही होना चाहिये। इसी बात को सूत्रकारने निर्दिष्ट करने के लिये ( अहवा जणयसरीरभवियसीरवारित्ते दधसमोयारे दुविहे पण्णत्ते) ऐसा कहा है। इसमें वे यह कह रहे हैं कि ज्ञायकशरीर भव्यशरीर से व्यतिरिक्त जो द्रव्य समवतार है वह दो प्रकार का प्राप्त हुआ है। (तं जहा) जैसे-(आयसमोयरे य तदुभयसमोयारे य ) एक
વરૂપમાં પણ રહે છે. અથવા જેમ બુદાદર-કપાલરૂપ ઘટમાં ગ્રીવા રહે છે અને તે ગ્રીવા આત્મભાવમાં પણ રહે છે.
शा--'कुण्डे बदराणि' मेरे हाय तमे ५२समतानु मापद छ, તે આ ઉદાહરણ તદુમય સમવતારનું જ હોવું જોઈએ. કેમકે જેમ કુંડમાં તે રહે છે. તેમજ તે પિતાના આત્મભાવમાં પણ રહે છે? - ઉત્તર-સાંભળો-આ જે દષ્ટાન્ત પરસમાવતાર વિષે આપેલ છે, તેમાં સ્વાત્મવૃત્તિની વિવક્ષા કરવામાં આવી નથી. આમ જે વિચાર કરવામાં આવે તે સમાવતારના બે પ્રકાર જ હોવા જોઈએ. એ જ વાતને સૂત્રકારે નિર્દિષ્ટ ४२वा माटे (अहवा जाणयसरीरभवियसरीरवइरित्ते दव्वसमोयारे दुविहे पगत्ते) माम यु छे. मामा ती मा प्रभारी डी २४ा छ ? शाय. શરીર ભવ્ય શરીરથી વ્યતિરિકત જે દ્રવ્ય સમવત ૨ છે, તે બે પ્રકારનો ज्ञात येत छ. (तं जहा) २म है (आयसमोयारे य तदुभयसमोयारे य)
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