Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०७ असुरकुमारादीनामायुःस्थितिनिरूपणम् ३२७ व्यन्तराणां देवीनां भदन्त ! कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता ? गौतम ! जघन्येन दशवर्षसहस्राणि उत्कर्षेण अर्द्ध पल्योपमम् । ज्योतिष्काणां देवानां भदन्त ! कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता? गौतम जघन्येन सातिरेकम् अष्टभागपल्योपमम्, उत्कर्षेण पल्योगमं वर्ष शतसहस्राभ्यधिकम् । ज्योतिष्कदेवीनां भदन्त ! कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ता ? गौतम ! जघन्येन अष्टभागपल्योपमम् , उत्कर्षेण अर्द्धपल्योपमं पश्चाशतोवर्षसहरभ्यधिकम् ! चन्द्रविमानानां भदन्त ! देवानां कियन्तं कालं स्थितिः जहण्णेणं दसवाससहस्साई उक्कोसेणं अद्धपलिओवम) हे गौतम ! जघन्य से दशहजार वर्ष की और उत्कृष्ट से आधे पल्योपम की प्रज्ञप्त की गई है। (जोइसियाणं भंते ! देवाणं केवयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) हे भदंत! ज्योतिष्कदेवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? (गोधमा ! जहण्णेणं सातिरेगं अट्ठभागपलि भोवमं, उक्कोसेणं पलि. ओवमं वाससयसहस्तमन्भहियं) हे गौतम ! जघन्य स्थिति तो कुछ अधिक पल्योपम का आठवें भाग प्रमाण है और उत्कृष्ट स्थिति एक लाख वर्ष अधिक पल्योपम प्रमाण है। (जोइसियदेवीणं भंते ! केव. इयं कालं ठिई पण्णत्ता?) हे भदन्त ! ज्योतिष्क देवियों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? (गोधमा! जहण्णेणं अट्ठभागपलिओ वमं, उक्कोसेणं अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहि अन्भहियं) हे गौतम ! जघन्य से पल्योपम के आठवें भाग प्रमाण और उस्कृष्ट से ५० हजार वर्ष अधिक आधेपल्यप्रमाण कही गई है। (चंदविमा. स्थिति ! सनी प्रज्ञH थयेकी छे १ (गोयमा ! जहण्णेणं दसवास. सहस्साई उक्कोसेणं अद्धपलि ओवम) है गौतम! धन्यथी शडलर वर्षनी अने उत्कृष्टथी अर्धा ५८यापभनी प्रज्ञी येही छे. (जोइसियाणं भंते ! देवाणं केवइय कालं ठिई पण्णत्ता १) मत ! याति देवानी स्थिति ४८सा सी उमा भावी छ ? (गोयमा ! जहण्णेणं सातिरेगं अटू. भागपलिओवम उक्कोसेणं पलिओवम वाससयसहस्समन्भहिय) है गीतम! જઘન્ય સ્થિતિ તે કંઈક વધારે પલ્યોપમના આઠમાં ભાગ પ્રમાણ છે અને Bre स्थिति में साथ ११ मधिर पक्ष्यो५५ प्रमाण छ. (जोइसिय देवीणं भंते ! केवइय कालं ठिई पण्णत्ता १) RE ! ज्योति विमान स्थिति ean सनी ४ामा मापी छ ? (गोयमा ! जहण्णेणं अटुभागपलिओक्म', उकोसेणं अद्धपलिओवम पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहिय) है ગૌતમ! જઘન્યથી પોપમના આફમાભાગ પ્રમાણ અને ઉત્કૃષ્ટથી ૫૦
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