Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०७ असुरकुमारादीनामायुःस्थितिनिरूपणम् ३३१ मानानां भदन्त ! देवानां कियन्तं कालं स्थितिः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! जघन्येन साविरेकम् अष्टभागपल्योपमम् , उत्कर्षेण चतुर्भागपल्योपमम् । ताराविमानानां भदन्त ! देवीनां कियन्तं कालं स्थितिः पज्ञप्ता ? गौतम ! जघन्येन अष्टमाग पल्योपमम् , उत्कर्षेण सातिरेकम् अष्टभागाल्योपमम् । वैमानिकानां भदन्त ! कही गई है और उत्कृष्ट से कुछ अधिक पल्य के चतुर्थ भाग प्रमाण कही गई है। (ताराविमाणाणां भंते! देवाणे केवयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) हे भदंत! ताराओं के विमानों के देवों की स्थिति जितने काल की कही गई है ? (गोयमा ! जहण्णेणं साइरेगं अभागपलिओवर्म उक्कोसेणं चउभागपलिभोवमं) हे गौतम ! ताराओं के विमानों के देवों की आयु जघन्य से तो कुछ अधिक एल्य के आठवें भागप्रमाण कही गई है और उत्कृष्टले पल्प के चौथे भागप्रमाण कही गई है। (तारा विमागाणं भंते ! देवाणं केवहथं कालं ठिई पाता ?) खाराओं के विमानों की देवियों की हे भदन्त ! कितनी आयु कही गई है ? (गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठभागपलि ओवमं 'उकोसेणं साइरेणं अट्ठभाग: पलिओवम) गौतम ! ताराओं के विमानो की देवियों की आयु जघन्य से तो पल्प के आठवें भागप्रमाण कही गई है और उत्कृष्ट से कुछ अधिक पल्य के आठवें भागप्रमाग कही गई है। (वेमाणियाणं भंते ! देवाणं केवयं कालं ठिई पण्णत्ता ?) हे भदन्त ! वैमानिक देवों की मा०यु छे. (ताराविमाणाणं भंते ! देवाणं केवइय कालं ठिई पण्णत्ता ?) 3 ભદત! તારા એના વિમાનોના દેવેની સ્થિતિ કેટલા કાલની કહેવામાં આવી छ ? (गोयमा! जहण्णेणं साइरेगं अद्रभागपलिओवम', उक्कोसेण चउभागपलिओवम) 3 गौतम! तारामान विमानाना हेवानुमायु पन्यनी અપેક્ષાએ તે કંઈક વધારે પલ્યના આઠમા ભાગ પ્રમાણુ કહેવામાં આવ્યું छ. अने यी ५६यना याथा मा प्रभार ४ामा मान्यु छे. (तारा विमाणाणं भंते ! देवी केवइय कालं दिई पण्णत्ता!) ताशयाना विमानानी विमानु नत ! मायु ८९ ४उपमा मा०यु छ ? (गोयमा ! जहण्णेण अनुभागपलि ओवम' उनकोसेण साइरेग अभागपलिओवम) गौतम ! ता. એના વિમાનની દેવિઓનું આયુ જઘન્યની અપેક્ષાએ તે પલ્યના આઠમા ભાગ પ્રમાણ કહેવામાં આવ્યું છે અને ઉત્કૃષ્ટથી કંઈક વધારે પલ્યના આઠમા मा प्रभाएर उयामा मान्य छे. (वेमाणियाणं भंते ! देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता) : RE-1 ! वैमानि हेतु भायु ८७ ४ामा माव्यु छ ?
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