Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १८६ तद्धितनामनिरूपणम् भ्रमति च रौति च भ्रमरः : एमादीनि अन्यान्यगि निरुक्तिजानि नामानि पृषोदरादित्वात् साधूनि बाध्यानि। एवं सामासिक-तद्धि गज-धातुजनिरुक्तिजरूपं भावप्रमाणमुक्तम् । अमुगे । भूचयितुमाह-तदेतद् भानप्रमाणमिति । इत्थं चतु विध प्रमाणपसंहृतमि चिथितुमाह-तदेतत्पमाणगामेति । इत्थं गौणादि दशनान प्ररूपितमिति दर्श तुमाह-तदेतद् दशनामेति । एकादि दशनाम निरूपणेन सकलं नाम निरूपितमित्याह-तदेतत् नामेति। इत्थमु क्रमस्य नामेति संज्ञको द्वितीयो भेदः समुद्दिष्ट इति सूचयितुमाह-नामेति पदं समाप्तमिति ॥५० १८६।। पर्यायवाची शब्दों द्वारा शब्दार्थ का कथन करना, इसका नाम 'निरुक्ति' है। इस निरुक्ति से जो नाम निष्पन्न होता है, वह निरुक्तिज नाम हैजैसे महिषादि । “मह्यां शेते इति महिषः, भ्रमन् सन् रौतीति भ्रमरः, मुहः मुहुः लसतीति मुसलं" इत्यादि रूप से इन महिष आदि नामों की निरुक्ति है । ये सब नाम पृषोदरादिगण में पठित हैं। इसलिये वहां से इनकी सिद्धि हुई है । इस प्रकार यह निरुक्तिज नाम है । इस निरु. क्तिज नाम में इसी प्रकार के और भी दूसरे नाम समझ लेना चाहिए। इस प्रकार सामासिक, तद्वितज, धातुज और निरुक्तिज रूप भावप्रमाण का कथन किया। इसी अर्थ को सूचित करने के लिये सूत्रकार ने ( से तं भावप्पमाणे ) ऐसा कहा है । ( से तं पमाणनामे ) इस सूत्र पाठ से सूत्रकार यह प्रकट कर रहे हैं कि यहां तक हमने इस पूर्वोक्त प्रकार से १७७ सूत्र से लेकर यह प्रमाण नाम का कथन किया है। (से तं दस नामे ) यह सूत्रपाठ इस बात की सूचना देता है कि-'एक नाम से लेकर दश नाम तक का यह कथन इस प्रकार से समाप्त हुआ है।' શબ્દાર્થનું કથન કરવું. તે “નિરૂક્તિ” કહેવાય છે. આ નિરૂક્તિ વડે જે નામ निष्पन्न थाय छ, त नि३ति नाम छे. भ. मडिप वगैरे 'मह्यां शेते इति महिषः, भ्रमन् सन् रोतीति भ्रमरः, मुहुः, मुहुः, लसतीति मुसलं,' ३ રૂપમાં આ મહિષ નગેરે નામોની નિરૂક્તિ સમજવી. આ બધા નામે પ્રોદરાદિ ગણામાં પઠિત છે. એથી ત્યાંથી જ એમની સિદ્ધિ થયેલી છે. આ પ્રમાણે આ નિરૂક્તિ જ નામ છે. આ નિરૂક્તિજ નામમાં આ જાતના બીજા પણ નામે સમજી લેવાં. આ રીતે સામાસિક તદ્ધિતજ, ધાતુ અને નિરૂક્તિજ ૩૫ ભાવ પ્રમાણનું કથન પૂર્ણ થયું. આ અર્થને સૂચિત કરવા માટે સૂત્રકારે (से तं भावपमाणे) म ४थु छ. (से त पमाणनामे) ॥ सूत्रयाथी सूत्र કાર આ પ્રમાણે સ્પષ્ટ કરે છે કે અહીં સુધી અમે આ પૂર્વોક્ત રૂપમાં १७७ सूत्री मांडीन २मा प्रभा नाम थन यु छे. (से त दसनामे)
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