Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अनुयोगद्वारसूत्रे एकप्रदेशनिष्पन्नः परमाणुः, द्विप्रदेशनिष्पन्नो द्विप्रदेशिका, त्रिप्रदेशनिष्पन्नस्त्रिप्रदेशिकः । एवं चतुष्पदे शकादि यावत् अनन्तपदेशिकान्तो बोध्यः । यो यो यात्रता यावता प्रदेशेन निष्पद्यते स स तत्तत्मदेशिको बोध्य इति भावः । नन्विदं परमाणु
"से कि तं दवप्पमाणे" इत्यादि ।
शब्दार्थ-(से किं तं वप्पमागे) शिष्य पूछता है कि-हे भदन्त ! द्रव्य प्रमाण क्या है ?
उत्तर-(दव्वप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते) द्रव्यविषयक वह द्रव्य प्रमाण दो प्रकार का कहा गया है-(तं जहा) वे दो प्रकार ये हैं-(पएसनि
फण्णे य विभागनिप्फण्णे य ) एक प्रदेश निष्पन्न और दूसरा विभाग निष्पन्न । (से किं तं पएसनिष्फण्णे) हे भदन्त ! प्रदेश निष्पन्न द्रव्य प्रमाणक्या है ?
उत्तर-(पएसनिप्फण्णे) प्रदेशनिष्पन्नद्रव्यप्रमाण-इस प्रकार से है-(परमाणुरोग्गले दो पएसिए जाव दसपएसिए' सखिज्जपएसिए असंखिज्जपएसिए, अर्णतपएसिए-से तं पएसनिष्फण्णे) जो द्रव्य प्रमाण एक दो तीन आदि प्रदेशों से निष्पन्न-सिद्ध होता है, वह प्रदेश निष्पन्न द्रव्य प्रमाण माना गया है-इस प्रदेश निष्पन्न द्रव्य प्रमाण में एक प्रदेश निष्पन्न परमाणु, दो प्रदेशों से निष्पन्न हुआ द्विपदेशिक द्रव्य तीन प्रदेशों से निष्पन्न हुआ त्रिप्रदेशिक द्रव्य इसी प्रकार
" से किं त दव्वप्पमाणे" त्याह
शहाथ-(से किं त दवप्पमाणे) शिष्य प्रश्न ४३ छ । महत ! द्रव्य. प्रभा शुछे ?
उत्तर-(दव्वप्पमाणे दुविहे पण्णत्ते) द्रव्य विषय ते द्र०यप्रभा में २- ४ामा माव्यु छे. (तजहा) ते थे ५४ा। मा प्रमाणे छ. (पएस निष्फण्णे य विभागनिएफणे य) में प्रदेश निरूपन्न भने मात्र विना निष्पन्न (से कि त पएसनिप्पण्णे) 8 महत ! प्रदेश निष्पन्न द्रव्यमाय शु छ ?
उत्तर-(पएसनिष्फण्णे) प्रदेश नि०पन्न द्रव्य प्रभा प्रमाणे छे. (परमाणुपोग्गले दो पएसिए जाव दस पएसिए, संखिज्जपएसिए असंखिज्जपएसिए, अणंतपएसिए-से त पएसनिप्फण्णे) रे द्रव्यप्रभार मे, मे, १५ कोरे પ્રદેશોથી નિષ્પન્ન-સિદ્ધ–થાય છે, તે પ્રદેશ નિષ્પન્ન દ્રવ્યપ્રમાણુ કહેવાય છે. આ પ્રદેશ નિષ્પન્ન દ્રવ્ય પ્રમાણમાં એક પ્રદેશ નિષ્પન્ન પરમાણુ, બે પ્રદેશથી નિષ્પન્ન થયેલ દ્વિદેશિક દ્રવ્ય, ત્રણ પ્રદેશથી નિષ્પન્ન થયેલ ત્રિપ્રદે
For Private And Personal Use Only