Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सू१९८ पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकादीनां शरीरावगाहनानि. १९१
सर्पमूर्च्छिमानां त्रिष्वपि गमेषु तथा भणितव्यम् । गर्भव्युत्क्रान्तिकखेचराणां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अंगुलस्य असंख्येयभागम्, उत्कर्षेण धनुः पृथक्त्वम् अपर्याप्त व्युत्क्रान्तिकखेचराणां पृच्छा, गौतम ! जघन्येन अंगुलस्य असंख्येअवगाहना हे गोतम । जघन्य से तो अंगुल असंख्यातवें भाग प्रमाण और उत्कृष्ट से धनुषपृथक्त्व है । (संमुिच्छमखहघराणं जहा भुषपरिसप्प समुच्छिमाणं तिसु वि गमेसु तहा भाणियव्वं ) सामान्य संमूच्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्च जीवों की अवगाहना, अपर्याप्त संमूच्छिम खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चजीवों की अवगाहना, पर्याप्त संमूच्छिम खेचर तिर्यश्च जीवों की अवगाहना जघन्य और उत्कृष्ट रूप से जिस प्रकार संमूच्छिम जन्मबाले भुजपरिसर्प पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चों के तीन पदों में कही गई है उसी प्रकार से समझना चाहिये । ( गग्भववकंतिय खहपरपंच दियतिरिक्ख जोणियाणं पुच्छा-गोयमा ! जहणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं धणुपुहुतं ) गर्भजन्म वाले जो खेचर पंचेन्द्रिय तिर्यश्च हैं उनकी अवगाहना हे गौतम ! जघन्य से अंगुल के असंख्यातवें भाग प्रमाण है और उत्कृष्ट से धनुष पृथक्त्व है। (अपज्ज
भक्कंतिय खहयर पंचें दियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा - गोयमा ! जहणणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेणं वि अंगुलस्स असंखेज्जहभागं ) गर्भजन्म वाले जो खेचर पंचेन्द्रिय अपर्याप्तक तिर्यञ्च हैं उनकी अवगाहना हे गौतम ! जघन्य से अंगुल के असंख्यातवें भाग
હુના હૈ ગૌતમ! જધન્યથી તે! અ'ગુલના અસ`ખ્યાતમા ભાગ પ્રમાણ છે गाने उत्कृष्टथी धनुष पृथत्व छे. ( समुष्टिमखहयराणं जहा भुयपरिसप्प संमुच्छिमाणं तिसु वि गमेसु तहा भाणियव्वं ) सामान्य सभूमि फेयर પૉંચેન્દ્રિય તિય ચજીવાની અવગાહના જધન્ય અને ઉત્કૃષ્ટ રૂપથી જેમ સમૂશ્ચિમ જન્મવાળા ભુજપરિસપ` પંચેન્દ્રિય તિય ચાના ત્રણ પદેમાં કહેवामां भावी छे, ते अभा ४ सम सेवी ले थे. ( गब्भवतिय खहयर पंचे 'दियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहणणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उकोसेधगुपुत्तं) गर्भअन्भवाणा के मेयर पयेन्द्रिय तिर्यो छे तेमनी અવગાહના હું ગૌતમ! જઘન્યથી અશુલના અસંખ્યાતમા ભાગ પ્રમાણુ છે मने उत्सृष्टथी धनुष पृथइल छे, ( अपज्जत्त गगन्भवकं तियखहयर पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा, गोयमा ! जहणेणं अंगुटम्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेण वि अंगुलरस असंखेज्जइभार्ग ) गर्भवन्भवाजा के मेयर यथेन्द्रिय अय
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