Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगद्वारसूत्रे
खजु बालाग्राणि अग्निर्नो दहेत्, वायु हरेत्, अतीव निचितत्वान्न तत्राग्निवायु क्रमेते इत्यर्थः । तथा-नो कुथ्येयुः =नि वालाग्राणि पचविशेषादेव शुषिरामावात् वापोरसंमवाच्य नासारतां गच्छेयुः, अतएव च न परिध्वं सेरन् = कतिपयपरिशायङ्गीकृत्य समाप्नुरित्यर्थः, तत् एत्र च-नो पूतितया कदाचिदप्यागच्छेयुः न कदाचिद् दौर्गन्ध्यं प्राप्नुयुरित्यर्थः । ततः खलु ताभ्यो वालाकोटिभ्यः खलु समये समये =पतिसमयम् एकमेकम् वालाग्रम् अपहाय= सा भी स्थान खाली न रहने पावे । (तेणं वालग्गा नो अग्गी डहेज्जानो वाऊ हरेज्जा, नो कुहेज्जा, नो पलिबिद्धंसिज्जा) तथा जो वालाग्र उस कुंए में भरे गये हैं, वे अग्निदाह से सुरक्षित रहें, तथा वायु उन्हें उडान सके इस रूप से वे उसमें दाव कर भरे जाना चाहिये । जब वे वहां दात्र २ कर भरे जावेंगे तभी उन पर अग्नि और वायु का प्रभाव नहीं पड़ सकेगा ' यही बात इन पदों से सूचित की गई है। खूप निधिरूप में भरे जाने के कारण जब वहां शेष खाली जगह ही नहीं रहेगी तब वायु के अप्रवेश से वे असारता को भी प्राप्त नहीं कर सकेगे और इसी कारण उनमें कुछ थोडे से भी रूप में परिशाटन - सडनापना नहीं हो सकेगा । जब किञ्चित् भी सडनापना नहीं आयेगा तब वे विध्वंसको प्राप्त नहीं होंगे और ( णोपूहन्ताए
.६०) न उनमें दुर्गन्ध ही आवेगी । इस प्रकार से ही कुंर में उन बालाग्रों को भर देना चाहिये । (तओणं समए समए एगमेगं बालगं
पाय स्थान रिक्त हेपाय नहि (तेण वालग्गा नो अग्गी डद्देज्जा नो वाऊ हरेज्जा, नो कुद्देज्जानो पलि विद्धंसिज्जा) तेमन के मासाओ ते दूवामां लश्वामां આવ્યા છે, તે અગ્નિથી ખળી શકતા નથી તેમજ પવનથી પણ તે ઉડાવી શકાતા નથી તે પ્રમાણે ઠાંસી-ઠાંસીને ખાલાો કૂવામાં ભરવા જોઈએ જ્યારે ખાલ:ગ્રો ઠાંસી-ઠાંસીને ભરવામાં આવશે ત્યારે જ તેમના પર અગ્નિ તથા વાયુના પ્રભાવ પડશે નહિ એજ વાત આ પદે વડે સૂચિત કરવામાં આવી છે એકદમ ઠાંસીને ભરવાથી જ્યારે ત્યાં સહેજ પણ ખાલી જગ્યા રહેશે નહિ ત્યારે પવનના અપ્રવેશથી તેએ અસારતાને પણ પ્રાપ્ત કરશે નહિ અને એથી જ તેમાં થાડા પણ કેવાહા લાગશે નહી. જ્યારે તેઓમા થેરા પણ સા ઉત્પન્ન થશે નહિ ત્યારે તેએ સુરક્ષિત રહેશે એટલે કે વિવરત यशे नहि भने (जो पूइत्ताए.......ह.) तेथेोभां हुगंध पशु उत्पन्न थशे नहि प्रभावामां ते मासाथी लवा लेहये. (तओण समए समए एगमेगं
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