Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अनुयोगर्चान्द्रका टीका सूत्र २०५ अद्धापल्योपमस्वरूपनिरूपणम् २७५ योजनम्, ऊर्ध्वमुच्यत्वेन, तत्रिगुण सविशेष परिक्षेपेण । तत् खलु पत्यम् ऐका हिक-द्वैयहिक-त्रै नि यावद् भृतं वालाग्र कोटीनाम् । तानि खलु वालाग्राणि
अब सूत्रकार अद्धापल्योपम का स्वरूप प्रकट करते हैं'से किं तं अद्धापलिओवमे' इत्यादि। सूत्र ॥ २०५ ॥
शब्दार्थ-(से किं तं अद्धापलि भोवमे ?) हे भदंत ! पल्योपम प्रमाण का जो द्वितीय भेद अद्वापल्योषम हैं-उसका क्या स्वरूप है ?
उत्तर-प्रद्धापलि प्रोवमे) अद्धाल्योपम का सारूप इस प्रकार से है-वह अदापल्पोपम (दुविहे पण्णत्ते) दो प्रकार का कहा गया है। (तं जहा) उसके वे प्रकार ये हैं-(सुटुमे य वावहारिए य) एक सूक्ष्म अद्धापल्योपम और दूसरा व्यावहारिक अद्धापल्पोपम (तस्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे) इनमें जो सूक्ष्म अद्धापल्योपम है, वह बाद में प्ररूपिन किया जावेगा । (नत्थ णं जे से वावहारिए से जहानामिए पल्ले सिया) पहिले जो व्यावहारिक अद्धापल्योपम है, हम उसका वर्णन करते हैं। सुनो,-जैसे कोई एक पल्प हो (जोयणं आयामविक्खभे णं, जोयणं उई उच्चत्तेणं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं) यह लंबाई में एक योजन का हो और चौडाई में भी एक योजन को हो तथा इसकी गहराई जो हो वह भी एक योजन की हो । तथा इसकी जोवृत्त-परिधि
હવે સૂત્રકાર અદ્ધા પાપમનું કથન કરે છે. " से कि तं अद्धापलिओवमे" त्याह
शहा---(से कि तं श्रद्धापलिओवमे ? ) 3 RE ! पक्ष्या५म प्रभाણને જે દ્વિતીય ભેદ અદ્ધાપલ્યોપમ છે તેનું સ્વરૂપ કેવું છે?
उत्तर-(अद्धापलिओवमे) मद्धापत्ये ५भनु २१३५ । प्रमाणे छ ते, मद्धापक्ष्य।५म (दुविहे पण्णत्ते) में प्रार। वामां भाव्यो छे. (तंजहा) त । मा प्रमाणे छ:-(सुहमे य वावहारिए य) मे सूक्ष्म मद्धापक्ष्या५म भने द्वितीय व्यापारि४ सद्धा५६।५म (तत्थ णं जे से सुहुमे से ठप्पे) આમાં જે સૂફ અદ્ધાપલ્યોપમ છે, તેનું નિરૂપણ પછી કરવામાં આવશે. (तत्थ ण जे से वावहारिए से जहा नामिए पल्ले सिया) प्रथम २ व्यावहारिक અદ્ધાપલ્યોપમ છે, હવે તેનું વર્ણન કરીએ છીએ સાંભળે, જેમ કે એક ५६य साय. (जोयणं आयामविक्खंभेण, जोयण' उर्ल्डः उच्चत्तेण' तं तिगुण सविसेसं परिक्खेवेण') 24 भां मे यान प्रभाए भने पक्षमा પણ એક જન પ્રમાણે જેટલો હોય, તેમજ તેની ઊંડાઈ પણ એક જિન જેટલી હોય તથા તેની વૃત્ત-પરિધિ પણ કંઈક વધારે ત્રણ એજન
For Private And Personal Use Only