Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २०४ पल्योपमादीनां औपमिकप्रमाणनिरूपणम् २५६ वक्ष्यमाणस्वरूपवालाग्राणां तत्खण्डानां वा तद्द्वारेण द्वीपसमुद्राणां वा प्रतिसमयमुद्धरणम्-अपोद्धरणम्- अपहरणम् उद्धारस्तद्विविषयं तत्प्रधानं वा पल्योपमम्उद्धारपल्योपमम्- तत् सूक्ष्मव्यावहारिकेति द्विविधम् । तत्र यत् सूक्ष्मं तत् स्थाच्यम् । व्यावहारिकप्ररूपणानन्तरमिदं प्ररूपयिष्यते । नहिस्थूलज्ञानं विना सूक्ष्मज्ञानं भवितुमर्हति अतो व्यावहारिकोद्धारपल्योपमं प्रथमं प्ररूपयति' तत्थ णं जे से वावहारिए' इत्यादि । तत्र उद्धारपल्पोपममेदद्वयमध्ये यत्तद् व्यावहारिकमुद्धारपल्योपमं तद् यथानामकं पल्यं - परयमिव धान्यादिपल्यमित्र यत् तत् पल्यं - स्यात् योजनम् - उत्सेधाङ्गुलमानेन योजनं = योजनगमाणम् आयामविष्कम्भाभ्यां देय
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उत्तर -- (उद्धारपलिओवमे दुविहे पण्णत्ते) उद्धार पत्योपम दो प्रकार का कहा गया है । (तं जहा ) - जैसे ( सुहुमे य वावहारिए य) एक सूक्ष्म उद्धारपल्य और दूसरा व्यावहारिक उद्धारपल्य । (तस्थ णं जे से सुमे से ठप्पे ) इनमें जो सूक्ष्म उद्धार पल्य है उसके विषय में अभी यहां कुछ नहीं कहा जाता है। इसके विषय में जो कुछ कहना होगा, वह व्यावहारिक उद्धारपत्य के निरूपण करने के बाद कहा जावेगा । क्योंकि स्थूल के ज्ञान हुए विना सूक्ष्म का ज्ञान नहीं हो सकता है। इसलिये सूत्रकार (तत्थ णं जे से बावहारिए से जहा नोमए पल्ले सिया) व्यावहारिक पल्य का कथन करते हैं- यह व्यावहारिक पल्य इस प्रकार है- (जोय णं ओयामविक्खंभेणं जोपणं उडू उच्चणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं) एक योजन लंबा, एक योजन चौड़ा और एक ही योजन गहरा एक गोल कुंआ समझना चाहिये, इसकी परिधि
उत्तर- (उद्धारप लिओ मे दुबिहे पण्णत्ते) उद्धार पयोभ में अहारनुं वामां आव्यु छे, (तंजहा) नेम है (सुमे य वात्रहारिए य) मे सूक्ष्म उद्धार चढ्य मने मीनु व्यावहारिक उद्धार पहय ( तत्थ णं जे से सुहुमे से उप्पे) भा જે સૂક્ષ્મ ઉદ્ધાર પલ્પ છે, તે વિશે મહી' કઈ પણ કહેવામાં આવતુ નથી આ વિશે જે કઈ કહેવાનું હશે તે બ્યાવહારિક ઉદ્ધારપલ્યને નિરૂપિત પછી કહેવામાં આવશે કેમકે સ્કૂલના જ્ઞાન વગર સૂક્ષ્મનું' ज्ञान थ शडे नहि मेथी सूत्रडार (तत्थ णं जे से वावहारिए से जहा नामए पल्ले सिया ) વ્યાવહારિક પલ્યનું કથન કરે છે-તે બ્યાવહારિક પલ્ય આ પ્રમાણે છે, (जोयण' आयाम विक्खंभेण' जोयण' उड्ड' उच्चतेण तं तिगुण सविसेसं परि. कखेवेण) मेयोन सो, होणो भने थे योजन है। એક ગેાળ કૂવા જાણુવે એની પરિષિ કઈક જાજેરી
योल्न કોઈ એ
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