Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १९२ क्षेत्रप्रमाणनिरूपणम् एकप्रदेशावगाढाद्यसंख्येयप्रदेशावगाढान्तं बोध्यम् । प्रदेशास्त्वत्र क्षेत्रस्य निर्विभागा भागा विवक्षिताः, तैर्निष्पन्नं प्रदेशनिष्पन्नम् । तत् एकप्रदेशावगाढादिकम् । एकादिभिः क्षेत्रप्रदेशनिष्पन्नत्वाद् अस्य एकादिप्रदेशावगाढत्वं बोध्यम् । एकप्रदेशावगाहित्वादिना स्वस्वरूपेणैव प्रतीयमानस्वादेषां प्रमाणत्वं विज्ञेयम् । विभाग (से कि तं पएसनिफण्णे ) हे भदन्त ! वह प्रदेश निष्पन्न क्षेत्रप्रमाण क्या है?
उत्तर-(पएसनिप्फण्णे) वह प्रदेश निष्पग्न क्षेत्र प्रमाण इस प्रकार से है-(एगपएसोगाढे दुप्पएसोगाढे, तिप्पएसोगाढे, जाव संखिजपएसोगाढे असंखिज्जपएसोगाढे) एक प्रदेशावगाढ, दो प्रदेशावगाढ, तीन प्रदेशावगाढ यावत् संख्यातप्रदेशावगाढ असंख्यातप्रदेशावगाढ जो क्षेत्ररूपप्रमाण है, वह प्रदेशनिष्पन्न क्षेत्र प्रमाण है । क्षेत्र के निर्विभाग जो भाग हैं वे यहां प्रदेशरूप से विवक्षित हुए हैं। इन प्रदेशों से निष्पन्न होने का नाम “प्रदेश निष्पन्न" है । प्रदेश निष्पन्न क्षेत्र प्रमाण वह एक प्रदेशावगाढादिरूप है । क्यों कि वह एक प्रदेशादिअवगाढरूप क्षेत्र एक आदि क्षेत्र प्रदेशों से निष्पन्न हुआ है । इसलिये इसमें एकादि प्रदेशावगाढता जाननी चाहिए । ये क्षेत्र प्रदेश एकादि क्षेत्र प्रदेशों में अवगाही होने रूप अपने निज स्वरूप से ही प्रतीति में आते हैं इसलिये इनमें प्रमाणता जाननी चाहिये । तात्पर्य इसका इस प्रकार निएफपणेय) प्रदेश पन्त द्वितीय विमा नि0पन्न (से कि त पएस निष्फण्णे) RE ! प्रदेश नि०५. प्रभा भेट. शु.१
उत्तर-(पएस निफण्णे) ते प्रदेश निष्पन्न क्षेत्रमाण प्रभारी छ (एगपएसोगाढे दुप्पएसोगाढे, तिप्पएसोगाढे, जाव संखिज्जपएसोगाढे असंखिग्जपएसोगाढे) : प्रा6, मे प्रशासन, ay प्रशा॥ यावत् સંખ્યાતપ્રદેશાવગાઢ, અસંખ્યાત પ્રદેશાવગાઢ જે ક્ષેત્રરૂપ પ્રમાણ છે, તે પ્રદેશ નિષ્પન્ન ક્ષેત્રપ્રમાણ છે. ક્ષેત્રના નિવિભાગ જે ભાગ છે તે અહીં પ્રદેશરૂપમાં વિવક્ષિત થયેલ છેઆ પ્રદેશથી નિષ્પન્ન થવાનું નામ પ્રદેશ નિષ્પન્ન છે. પ્રદેશનિષ્પન્નક્ષેત્રપ્રમાણ એક પ્રદેશાવગાઢાદિ રૂપ છે. કેમકે તે એક પ્રદેશાદિ અવગાઢ રૂ૫ ક્ષેત્ર એક આદિ ક્ષેત્ર પ્રદેશોથી નિષ્પન્ન થયેલ છે એટલા માટે આમાં એકાદિ પ્રદેશવગાઢતા જાણવી જોઈએ આ ક્ષેત્ર પ્રદેશ એકાદિ ક્ષેત્રપ્રદેશોમાં અવગાહી હોવા બદલ પિતાના ૨વરૂપથી જ પ્રતીતિમાં આવે છે એથી જ આમાં પ્રમાણતા
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