Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगद्वारसूत्रे पूर्वकमाराधनीय-' मित्यात्मपरिणामयुक्ताः इयर्थ । : तथा-तदप्तिकरणा:-- तस्मिन्-आय के अर्पितानि-याथातथ्येन नियुक्तानि करणानि-तत्साधकभूतानि देहरजोहरणसदोरकमुखवत्रिकादीनि यै ते तथा, आवश्यककर्मणि सम्यग्यथा स्थानन्यस्तोपकरणा इत्यर्थः, तथा-तद्भावनामाविताः-तस्य आवश्यकस्य भावनाआवश्यक-सर्वकल्याण-कारणम, अनन्तभवोपार्जित कमरजोऽपहारक-मिति प्रतिक्षण-मनुस्मरणरूपा, तया भाविताः प्रमादपरिहारपूर्वक परमोत्साहेन आवश्यक क्रियाकरणपरायणाः, अन्यत्र कुत्रा · मनः अकुर्वन्तः, उपलक्षण त्गद् वाचं कावं यात्रा कुर्वन्तः उभयकाले यत् विश्यकं कुर्वन्ति तदेतल्लोकोत्तरिकं भावावसुन को प्राप्त करा देता है अतः यह अश्य उपयोगपूर्वक प्रशस्ततर संवेग के साथ निवेदपूर्वक आराधनीय है इस प्रकार के आत्मपरिणामों से जो युक्त हैं ऐसे श्रमण आदिजन "तदट्ठस्वउत्ते' इस पद के वाच्यार्थ हुए हैं । तथा-जिन्हों ने आवश्यक में यथास्थान तत्साधाभूत देह, रजेहरिण, सदारक मुखवस्त्रिका आदिकों को नियुक्त कर रखा है अर्थात् आवश्य क्रया में अच्छी तरह से उ होने यथा स्थान उपकरणों को रखा है ऐसे वे श्रमण आदि जन "तदः पियकरणे" पद के वाच्यार्थ हुए हैं। आवश्यक समस्त कल्याणां । कारण है तथा. अनंत भवेोपार्जित कर्म रज का नाशक है इस प्रकार की प्रतिक्षण में अनुस्मरणरूप भावना से जो प्रमाद परित्यागपूर्वक परमात्साह से आवश्यक किया के करने में परायण बने हुए हैं ऐसे श्रमण आदिजन "तम्भावणाभा-, पिए" पद के वाच्यार्थ हुए हैं। मन यह पद बचन और कायका उपलक्षण.. તે કારણે તે અવશ્ય ઉપગ પૂર્વક પ્રશસ્તતર સંવેગની સાથે, નિવેદપૂર્વક આગ ધનીય છે,” આ પ્રકારના આત્મપરિણામથી જેઓ યુક્ત હોય છે એવાં શ્રમણ awra "तदहोवउत्ते, Ant ! १२ ३३ अ २ नये
આવશ્યક ક્રિયા કરતી વખતે તે ક્રિયાના સાધનભૂત દેહ, રજોહરણ, સરક અહપતી આદિ ઉપકરણોને જેમ થેગ્ય સ્થાને રાખેલાં છે એટલે કે આવશ્યક ક્રિયામાં જેમ ઉપકરણને બરાબર વિચાર પૂર્વક ઉચિક સ્થાને સ્થાપિત કરેલાં છે, તે ANY ने सही "तदपियकरणे' मा पहना पाश्या ३५ समान... - - “આવશ્યક ક્રિયાઓ સમસ્ત કલ્યાણની જનક છે, તથા અનંત ભાજિત કર્મને નાશ કરનારી છે.” આ પ્રકારની પ્રતિક્ષણે અનુસ્મરણ રૂપ ભાવનાથી પ્રેસને જેઓ પ્રમાદના ત્યાગ પૂર્વક અને પરમત્સાહ પૂર્વક આવશ્યક ક્રિયાઓ श्वाने राय मानला छे मेव अभय माहिन "तन्माणाभ विए" ना. पारया ३५ समान. .. .
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