Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १६७ गीते हेयोपादेयनिरूपणम् १९ स्वरविधानेन गायति ? कीदृशी च स्त्री विलम्बित-मन्थर (मन्द) स्वरेण गायति? कीदृशी स्त्री द्रुतं द्रुतस्वरेण गायति ? तथा-कीदृशी च स्त्री विस्वर-विकृतं स्वरं कृत्वा गायति ? उत्तरयति-'सामा' इत्यादिना । व्याख्या स्पष्टा । नवरं-पिङ्गलाकपिला । 'सप्तसीभरम्' इति यदुक्तम् , तत्र सप्त स्राः के ? इति दर्शयति'तंतीसम' इत्यादि-तन्त्रीसमम्-तन्त्री-वीणा, तस्याः शन्देन समतुल्यं मिलितं से अर्थात् गीत शास्त्र में कथित विधि के अनुसार स्वरविधान से गाती है ? कैसी स्त्री विलम्बित-मन्धर स्वर-से गाती है ? कैसी स्त्री दुतस्वर से गाती है ? (विस्सरं पुण केरिसी) और कैसी स्त्री विकृत स्वर से गाती है अर्थात् स्वर को विकृत कर गाती है ?
उत्तर-(सामा गायइ महुरं) श्यामा-पोडशवार्षिकी स्त्री मधुरस्वर से गाती है (काली गाय खरं च रुक्खंच) काली कृष्णरूपवाली स्त्री गीत को खर से और रूक्ष स्वर से गाती है । (गोरी गायह चउरं) गौरवर्णसंपन्नास्त्री गीत को चतुराई से गाती है । (काणा विलम्ब दुतंच अंधा) काणी स्त्री-एकाक्षी नारी गीत को मंद स्वर से गाती है। अंधी स्त्री गीत को द्रुतस्वर से गाती है । (विस्सरं पुण पिंगला) और जो कपिला-कपिल वर्ण वाली स्त्री होती है वह गीत को विकृत स्वर से गाती है । (तंतिसमं, तालसमं, पायसमं, लयसमं, गहसमंचनीससिऊस. सियसमं संचारसमं सरा सत्त) तंत्रीसम-तंत्री-वीणा के समान दत' केसी १) श्री यतुरताथी सट गीत थित विधि भुग સ્વરવિધાનથી ગાય છે? કઈ સ્ત્રી વિલંબિત-મસ્થર-સ્વરથી ગીત ગાય છે?
श्री द्रुततर २१२थी गीत आय छ ? (विस्सर पुण केरिसी) भने श्री વિકૃત સ્વરથી ગીત ગાય છે એટલે કે સવારને વિકૃત કરીને ગાય છે?
उत्तर-(सामा गायइ महुर) श्यामा-२७२० पाीि मेट है स नी श्री मधु२ २१२थी गीत गाय छे. (काली गायइ खरं च रुक्खं च) जी gu ३५वाणी-पानी -श्री १२ भने ३० २१२थी गाय छे. (गोरी गायइ चउर) गौरव सपना थेट भारी श्री चतुराया गीत गाय छे. (काणा विलम्ब दुतं च अंधा) stel sी-13 मinquil-श्री भई २५२थी गीत ॥4 छ मांधणी स्त्री त१२थी-Squथी-oila |य छे. (विस्सरं पुण पिंगला) અને જે કપિલા કપિલવવાળી સ્ત્રી હોય છે તે વિકૃત સ્વરથી ગીત ગાય છે. (तंतिसमं तालसमं, पायसम, लयसमं गहसमं च नीससिउससियसमं संचार सम' सरा सत्त)-तत्री सम-त्री वीए-श व भय ना स्वनी
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