Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 859
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगद्वारसूत्रे 'सत्यमेवाभ्यूवम् । अतोदाहरणमाह-रौद्रो रसो यथा-भुकुटीविडम्बितमुखः-भ्रुकुटिः धादिना बलाटसंकोचनं तया विडम्बित=विकृती-भूतं मुखं यस्य स तथा, नियं-सन्दष्टौष्ठ:-सन्दष्टा-दन्तै-दष्ट ओष्ठो येन स तथाभूतः, इति-अतश्चसाराकीर्ण:-रुधिरैः आकीर्णः-शोणितसंकुलो हे भीमरसिता-भीमं भयंकर रसित यस्य तत्संबुद्धौं, हे भयजनकशब्दकारिन् ! त्वम् असुरनिभा-दैत्य इव पशुं हास, भतो है अतिरौद्र-अतिशयरौद्ररूपधारिन् ! त्वं रौद्रोऽसि-ौद्रपरिणामयुक्तो. भीति नरकनिगोदादिदुःखं भोक्ष्यसे ॥सू० १७३॥ हरण तो अपने आप जान लेना चाहिये । रौद्ररस का ज्ञान जिसप्रकार सेहोसकता है सूत्रकार (रोहो रसो जहा) इन पदोंद्वारा उसी प्रकार के उभारणारा प्रकट करते हैं-जैसे-(भिउडी विडंम्बियमुहो संदहोइय सामाकिण्णो) पशुहिंसा में निरत बने हुए किसी हत्यारे मनुष्य से कोई धर्मातम मनुष्य यह कह रहा है कि अरे ! यह तेरा मुख इस समय भुकुटी से विकरालबना हुआ है। क्रोधादिक के आवेग से तेरे ये दांत-अधरोष्ठ को डस रहे हैं । खून से तेरा शरीर लथ पथ हो रहा है. भीमरसिय) जो तेरे मुख से शब्द निकल रहे हैं, बड़े भयावने हैं । मा महाभयजनक शब्द बोलने वाले तुम (असुरनिभो) असुर जैसे पक्रेर हो भोर (पस्तुंहणसि) पशुकी हत्या कर रहे हो । अतः (अइरोष प्रशिक्षय रौद्ररूपधारी तुम (रोहोऽसि) रौद्रपरिणामों से युक्त होने केसरण सैद्ररस रूप हो-सो याद रखो, नरकनिगोद आदि के दुःखों को भोगोंगे ॥ सू० १७३ ॥ ઉચરણ તે પિતાની મેળે જ જાણી લેવું જોઈએ. જે રીતે રૌદ્ર सजान य श छे वे सूत्रा२ (रोहोरसो जहा) ते प्रमाण मा ५४ RTHER प्रस्तुत श२ १५०४ रे छ. म -(भिउडी विडंबियमुहो संदरोड्यरुहिरमाकिण्णो) ५४ सा भाटे त५२ ये धात: માણસને કોઈ ધર્માત્મા પુરૂષ આ પ્રમાણે કહે કે અરે! આ તારૂં મેં હમણાં કુટીએથી વિકરાલ બની રહ્યું છે-ક્રોધ વગેરેના આવેગથી તારા દાંત पठान लीसी २हा छ त शरी२ सालीथी ५२७७ रघु छ. (भीमरसिय) ता॥ क्यनी मती भयोत्पाई छ. मेथी महासयन शहा यासनातु, (असुरनिभो) असुर । थ६ गये। छ। भने (पसुं हणसि) पशुनी त्यो श रही है. मेथी (अइरोह) भतिशय शैद्र ३५ धारीतु (रोदोऽसि) -પરિણામથી યુક્ત હેવા બદલ રૌદ્રરસ રૂપ છે તે તું યાદ રાખ કે કિર્દી વગેરેના ખો ભેગવવા પડશે. સૂ૦૧૭૩ - For Private and Personal Use Only

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