Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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२८.
अनुयोगद्वारसूत्र अथ नवनाम निर्दिशति
मूलम्-से किं तं नरनामे ?, नवनामे-णव कचरसा पण्णत्ता, तं जहा-वीरो सिंगारो अब्भुओ य रोदो य होइ बोद्धव्यो। वेलणओ बीभच्छो, हासो कलुणो पसंतो य॥१॥सू०१६९॥ : छाया-अथ किं तत् नव नाम ? नवनाम-नव काव्यरसाः प्रज्ञप्ताः,
पथा-चीरः शृङ्गारः अद्भुतश्च रौद्रश्च भवति बोद्धव्यः। वीडनको बीभत्सो हास्यः; करुणः प्रशान्तश्च ॥ १॥मू० १६९॥ से समस्तवस्तुओं के कथन का संग्रह हो जाता है-अतः यह अष्ठनाम ऐसा कहा गया है। (सेतं अट्ठणामे) इस प्रकार यह अष्ट नीम है।॥ सू० १६८ ॥
अब सूत्रकार नव नामका कथन करते हैं
"से कि तं नवनामे ?" इत्यादि । . शब्दार्थ-(से किं तं नव नामे ? ) हे भदन्त ! वह नव प्रकार का नाम क्या है ? प.उत्तर-(नव नामे) नव नाम इस प्रकार से है-(णव कव्वरसा पण्णत्ता) काव्य के जो नौ रस हैं, वे ही नव नाम रूप से प्रज्ञप्त हुए हैं। (तं जहा) वे नौरस ये हैं-(वीरो सिंगारो, अब्भुओ य रोदो य होई बोद्धव्यो। बेलजो बीभच्छो हासो कलुणो पसंतोय) वीररस, शृंगाररस, अद्भुतरस रौद्ररस, वीडनकरस, बीभत्सरस, हास्यरस, करुणरस, और प्रशान्तरस। રામાષ્ટક સિવાય બીજું નામ નથી એટલા માટે આ નામાષ્ટકથી બધી વસ્તુઓને सड य य छे. मेथी | मटनाम माम अपामा भाव्यु छ (से त भदृणामे) माम मा भानामे छे. सू०११८॥
હવે સૂત્રકાર નવ નામનું કથન કરે છે–“से कि त नवनामे ?" त्याशहाथ-(से किं तनवनामे ) 3 महन्त ! तेनानु नाम शुछ?
उत्तर-(नवनामे) नर नाम मा प्रमाणे छे. (णव कबरसा पण्णत्ता) ४०यना २ न१ २से छे ते न नामथा प्रज्ञा ये छ. (तंजहा) ते नव नामी मा प्रभार छ. (वीरो सिंगारो, अब्भुओ य रोदो य होइ बोद्धव्यो। वेलण) बीभन्छो हासो कलुणो पसंतो य) वी२२स, शृ॥२२स, मसुतरस, रौद्ररस, ત્રાડનકરસ, બીભત્સરસ, હાસ્યરસ, કરુણરસ અને પ્રશાન્તરય.
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