Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
૬૮
अनुयोगद्वारसूत्रे
प्रकृतमुपसंहरन्नाह - सैंपा भावानुपूर्वीति । नामानुपूर्व्यादि भावानुपूर्व्यन्ता दशाsप्यानुपूर्व्यः समुद्दिष्टा इति सूचयितुमाह सैषा आनुपूर्वीति । इत्थमुपक्रमस्य आनुपूर्वी नामकः प्रथमो भेदः समुद्दिष्ट इति सूचयितुमाह- आनुपूर्वीति पदं समाप्तमिति ॥ १४२॥
सम्प्रत्युपक्रमस्य नामाभिधेयं द्वितीयं भेदं व व्याख्यातुमाहमूलम् - से किं तं णामे ? णामे दसविहे पण्णत्ते, तं जहाएगणामे, दुणामे तिणामे, चउगामे, पंचणामे, छणामे, सत्तणामे, अट्ठणामे, नवणामे, दसगामे || सू० १४३ ॥
छाया-अथ कि तन्नाम? नाम दशविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-एकनाम, द्विनाम, त्रिनाम, चतुर्नाम, पञ्चनाम, षण्णाम, सप्तनाम, अष्टनाम, नवनाम, दशनाम ॥ मू० १४३॥ टीका-' से किं तं ' इत्यादि
शिष्यः पृच्छति - अथ किं तन्नाम ? इति । उत्तरयति - नाम- जीवगतज्ञानादिपर्यायाजी वगतरूपादिपर्यायानुसारेण प्रतिवस्तुभेदेन नमति तदभिधायकत्वेन वर्त्तते यहां तक नामानुपूर्वी से लेकर भावानुपूर्वी तक जो दश आनुपूर्वियां हैं वे सब प्रतिपादित हो चुकी इसकी सूचना के लिये सूत्रकारने " से तं आणुपुन्वी " यह कहा है । (आणुपुत्रीतिपयं समत्तं) इस प्रकार यहां तक उपक्रम का यह आनुपूर्वी नाम का प्रथम भेद कथित हो चुका अर्थात् समाप्त हुआ ||० १४२ ॥
अब सूत्रकार उपक्रम का जो द्वितीय भेद नाम नाम का है उसकी व्याख्या करने के लिये कहते हैं कि- "से किं तं णामे ?" इत्यादि । शब्दार्थ - (से किं तं णामे) हे भदन्त ! पूर्वप्रक्रान्त नाम क्या है ? ( णामे दसविहे पण
)
""
सूत्रारे " से त' आणुपुत्री था प्रहारनो सूत्र भूम्यो छे (आणुपुव्वीतिपयं समन्तं) आअहारे उपमना आनुपूर्वी नामना प्रथम लेवनु निइयाशु सहीं समाप्त थाय छे. || सू० १४२ ॥
ઉપકમને બીજો ભેદ - નામ ’ છે હવે સૂત્રકાર તે નામનુ નિરૂપણ કરે છે" से कि त णामे १" इत्याहि
शब्दार्थ - (से किं त णामे १) डे भगवन् ! उपमना मी प्रहार ३५ नाम शु छे ?
For Private and Personal Use Only