Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगद्वारसूत्रे भवति वल्लमः॥१॥ ऋपमेण तु ऐश्वर्य सेनापत्यं धनानि च । वस्त्रगन्धम् अलंकारम् , स्त्रियः शयनानि च ॥२॥ गान्धारे गीतयुक्तिज्ञाः वयवृत्तयः कलाधिकाः। भवन्ति कवयो धाज्ञाः, ये अन्ये शास्त्रपारगाः ॥३॥ मध्यम स्वरसम्पन्ना भवन्ति-सुखजीविनः । खादति पिबति ददाति, मध्यमस्वरमाश्रितः ॥४॥ पञ्चमस्वरसम्पन्ना मित्र होते हैं। यह स्त्रियों को बहुत प्यारा होता है । (रिसहेण उ एसज्ज) ऋषभ स्वर से मनुष्य ऐश्वर्य-ईशनशक्तिवाला-होता है (सेणाबच्वं धणाणिय) इस स्वर के प्रभाव से वह सेनापतित्व को धन को, (वस्थगंधमलंकारं इत्यिभो सयणाणि य) वस्त्रों को गंधपदार्थों को, अलं. कारों को, स्त्रियों को, और शयनों को पाता है । (गंधारे गीयजुत्तिण्णा) गान्धार स्वर से गाना गानेवाले मनुष्य (वजवित्ती कलाहिया) श्रेष्ठ आजीविकावाले होते हैं तथा कलाओं के ज्ञाताओं में शिरोमणि होते हैं। (कहणो पण्णा हवंति) कवि-काव्यकर्ता-होते हैं अथवा-"करणोकृतिनः" इस छाया पक्ष में कर्तव्यशील होते हैं। प्राज्ञः-सद्बोध संपन्न-होते हैं । (जे अण्णे सस्थपारगा) तथा जो पूर्वोक्त गीत युक्तिज्ञ आदि कों से जो भिन्न होते हैं-वे, सकलशास्त्रों में निष्णात होते हैं ! (मज्झिमस्सरसंपन्ना) जो मध्यम स्वर से युक्त होते हैं, वे (सुहजीविणो हवंति) सुखजीवि होते हैं । (खायई पियई देई मज्झिमस्सरमस्सिओ) सुखजीवि कैसे होते हैं ? इसी बात को सूत्रकार कहते हैं कि वे सुस्वादु भोजन को मनमाना खाते हैं, दुग्बादि का पान करते हैं। दूसरों को (प्रय डाय छ (रिसहेण उ एसिज्ज) *पम २१२थी भास भैश्वय-शन शत सप-न-डाय छे (सेणावच्चं धणाणि य) मा २१२ना प्रमाथी सेनापतित्पन, धनने, (वत्थगंधमलंकार इथिओ सयणाणिय) पक्षी, पहा, '२१, श्रीमा, तम शयनाने भगवे छे. (गंधारे गीय जुत्तिण्णा) गान्धार स्वरथी गाना। मायुसे। (वज्जवित्ती कलाहिया) श्रेष्ठ मालविणाराय छे तमा
साविमा श्रे3 गाय छे. (कइणोवण्णा हवंति) ४०३२ साय छे 'कइणो-कृतिनः' मा छाया पक्षमा त यशात हाय छ प्राज्ञ:-समाध अपन डाय छे. (जे अण्णे सत्यपारगा) तेभर पूरित गीत युतिः परथी २ मिन्न हाय छ तेथे। स४४ शास्त्रीमा निgad छे. (मझिमसरसंपन्ना) २सा मध्यम स्१२ सपन डाय छ तेस (सुइजीविणो हवंति) सुमलव होय छे. (वायई पियई देई, मज्झिमस्सरमस्सिओ) सुभवी वी शते साय છે? એજ વાતને સૂત્રકાર હવે સ્પષ્ટ કરે છે કે તેઓ પિતાની ઈચ્છા
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