Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 821
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८०६ www.kobatirth.org भनुयोगद्वारसूत्रे. एते सप्तस्वराः कुतो भवन्ति ? इत्यादि प्रश्नचतुष्टयपूणि तदुत्तराणि प्रोच्यन्ते मूलम् - सत्त सरा कओ संभवति ? गोयस्स का हवंति जोणी ? | कइ समया उसासा ? कइ वा गीयम्स आगारा ? ॥१॥ सत्त सरा नाभीओ हवंति, गीयं च रुइयजोणियं । पायसमा ऊसासा, तिष्णि य गीयरस आगारा ॥२॥ आइमिउ आरभंता समुहंता मझगारंमि । अवसाणे तज्जर्वितो, तिन्नि य गीयस्स आगारा ||३|| सू० १६६॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छाया - सप्त स्वराः कुतः संभवन्ति ? गीतस्य का भवन्ति योनयः ? कति समया उच्छ्वासाः ? कति वा गीतस्य आकाराः १ || १ || सप्तस्वरा नाभितो, भवन्ति, गीतं च रुदितयोनिकम् । पादसमा उच्छ्वासाः, त्रयश्च गीतस्य - ये सात स्वर कहां से होते हैं इत्यादि जो चार प्रश्न हैं उनका उद्भा वन करते हुए सूत्रकार उनका उत्तर देते हैं " सत्तसरा कओ " इत्यादि । - शब्दार्थ - ( सत्तसरा कओ संभवति) प्रश्न- सात स्वर कहां से उत्पन्न होते है ? (गोयल का हवंति जोणी) गीत की जातियां क्या हैं ? (कह समया उसासा ?) गीत के उच्छवास कितने समय के प्रमाण वाले होते. हैं ( कति वा गीयस्स आगारा) गीत के आकार कितने होते है ? उत्तर - ( सत्त सरनाभीओ हृति) सात स्वर नाभि से उत्पन्न होते हैं। (गीयं च रुपजोणियं) गीत रुदितयोनिक होता है । (पापसमा ऊसासा) पाद सम उच्छ्रवास होते हैं। (गीयस्स तिष्णि आगारा) गीत के तीन એ સાત સ્વરા કયાંથી પ્રગટ થાય છે વગેરે જે ચાર પ્રશ્નો છે તેમનું ઉર્દુભાવન કરતાં સૂત્રકાર તેમના જવાબમાં કહે છે કે 66 सत्तसरा कओ " इत्याहि शब्दार्थ - ( सत्तसरा कओ संभवंति ) प्रश्न सात स्वरो ज्यांथी उत्पन्न याय छे ? ( गीयम्स का हवंति जोणी) गीताना उत्पत्ति स्थाना या छे ? ( कइसमया उसासा ?) गीतना उच्छ्वास सा सभयना प्रभाणुवाणा होय छे ? ( कति वा गीयरस आगारा) गीतना था। डेंटला होय छे १ उत्तर- (त्तर नाभीओ ७. (गीयं च हयजोज़ियं) गीत हवंति ) सात स्वरे। नालियोथी उत्पन्न थाय दुहित योनि होय छे ( पायसमा उमामा) For Private and Personal Use Only

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