Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १५६ पारिणामिकभावनिरूपणम्
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हिमवदादयः पर्वताः । ग्रामादयः प्रसिद्धाः । पातालाः = पातालककशाः । शेषा भवनाद्यनन्तप्रदेशिकान्ताः प्रसिद्धा एव । ननु वर्षधरादयः शाश्वताः, न ते कदाचिदपि स्वकीयं भावं मुञ्चन्ति तत्कथं पुनरेषां सादिपारिणामिकत्वमुक्तम् ? इति - वेदाह - वर्षभरादीनां शाश्वतत्वं तदाकारमात्रेणैवावतिष्ठमानत्वाद् बोध्यम् । पुद्गलाआदि क्षेत्र (वासरा) हिमवत् आदि पर्वत (गामा, नगरा, घरा, पच्वया, पायाला) ग्राम, नगर, घर, पर्वत, पातालकलश (भवणा) भवन (निरा) नरक, (रयणप्पहा) रत्नप्रभा (सकरप्पहा) शर्कराप्रभा (बालुयपहा) बालु का प्रभा (पंपहा) पंक प्रभा (धूम पहा) धूमप्रभा (तमपहा) तमः प्रभा (तम तमपहा) तमस्तमः प्रभा (सोहम्मे ) सौधर्म (जाव अच्चुए) यावत् अच्युत (गेवेज्जे अणुसरे) ग्रैवेयक, अनुसर, (इसिप्पन्भारा ) ईषत्प्राभारा (परमाणुपोग्गले) परमाणुपुद्गल (दुपए सिए) द्विप्रदेशिक (जाव अनंत परसिए) यावत् अनंतप्रदेशिक (से तं साइपारिणामिए) इस प्रकार वह यह सादि पारिणामिक है ।
शंका- वर्षधरादिक तो शाश्वत हैं। क्योंकि ये कभी भी अपने अस्तित्व का परित्याग नहीं करते हैं। फिर इन्हें सादि परिणामवाला कैसे सूत्रकारने कहा है ?
उत्तर- वर्षधरादिकों में जो शाश्वतपना कहा है वह " वे अपने आकार मात्र से ही सदा अवस्थित रहते हैं "इसी ख्याल से कहा गया
रेणाविशेष), (वासा) भरत आहि क्षेत्र ( वासधरा) हिमवान् याहि पर्वत, (गामा, जगरा, घरा, पव्वया पायाला ) ग्राभ, नगर, घर, पर्वत, पातालश, (भवणा) भवन, (निरया) न२४, ( रयणप्पभा) रत्नप्रभा (सकरप्पमा) शरायला, (बालुयप्पभा) वालुायला, (पंकप्पा ) पशुअला, (धूमप्पहा ) धूमअला, (तमप्पा ) तभः प्रभा ( तमतमप्पा ) तभस्तभः प्रभा (सोहम्मे जाब अच्चुए) सौधभंथी सहने अभ्युत पर्यन्तना उद्यथेो, (गेवेज्जे अणुत्तरे ) ग्रैवेय, अनुत्तर (quial, (gfacqsızı) Saczoquial, (qrary qìmè) uzuy yka (Tएलिए जाव अनंत पविए) द्विप्रदेशिथी सङ्घ ने अनतप्रदेशि पर्यन्तना सुधा, (सेतं साइ पारिणामिए) मा अधांने साहियारियामिङ भाव ३५ समभवा શકા-વધર આદિ પવતા તા શાશ્વત છે, કારણ કે તેઓ કદી પણુ પાતપાતાના અસ્તિત્વના પરિત્યાગ કરતા નથી છતાં સૂત્રકારે તેમને સાક્રિ પારિણામિક શા કારણે કહ્યા છે ?
ઉત્તર-વષધર આફ્રિકામાં જે શાશ્વતતા પ્રકટ કરવામાં આવી છે તેનુ કારણ એ છે કે તેઓ તેમના આફાર માત્રની અપેક્ષાએ જ સદા અવસ્થિત
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