Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगधन्द्रिका टोका सूत्र १५९ त्रिकसंयोगनिरूपणम् सम्यक्त्व क्षायिक भाव में है-(एसणं से णामे उदइयउवसमियखझ्या निष्फण्णे) इस प्रकार यह औदयिक औपशमिक क्षायिक निष्पन्न नाम सान्निपातिक भाव है । (कयरे से णामे उदइयउवसमियखओव समियनिष्फपणे) हे भदन्त ! औदयिक क्षायोपशमिक सान्निपातिक भाव कैसा है ? - उत्तर-(उदइय उपसमियखोवसमियनिष्फण्णे) औदयिक औप: शमिक क्षायोपशमिक नामको सान्निपातिकभाव ऐसा है (उदइएं त्तिमणुस्से उवसंता कसाया ख भोवसमियाइं इंदियाई) मनुष्यगति औदयिक, उपशांतकषायें औपशमिक, और इन्द्रियाँ क्षायोपशमिक (एसणं से णामे उदयउवसमियखोवलमियनिष्फण्णे) इस प्रकार यह औदयिकौपशमिक क्षायोपशमिक सान्निपतिक भाव है। (कपरे से णामे उदहपउवसमियपारिणामियनिष्फण्णे?) हे भदन्त ! औद: यिकोपशमिक पारिणामिक नाम का तीसरा सान्निपातिक भाव कैसा है ? (उदइयउवसमियपारिणामियनिप्फण्णे) . उत्तर-औदयिकौपशमिक पारिणामिक नामका जो तीसरा सान्नि पातिक भाव है वह ऐसा है-(उदइयएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया पारिक्षायि४ मा छ. (एसणं से णामे उदइयउपसमियखइयनिष्फण्णे) ॥ प्रारना આ ઔદયિકોપથમિક ક્ષાયિક નિષ્પન્ન નામને સાત્રિપાતિક ભાવ છે.
प्रश्न-कयरे से णामे उदइयउपसमियखओवसमियनिष्फण्णे १ ३ सन् ! દયિકૌપશમિક સાન્નિપાતિક ભાવ કે છે?
उत्तर-(उदइयवसमियखओवसमियनिष्कण्णे) मोहयो५मि४-मायामि। नामनी सानिपाति: ला 240 रने छे-(उदएत्ति मणुस्से, उपसंताकसाया, खओवसमियाइं इंदियाई) मनुष्य गति मोहयि भाव छ, शान्त ४ाये। मो५मि४ मा छे भने न्द्रिय क्षायो५मि मा छे. (एसणं से णामे उदइयउवसमियख ओवसमियनिष्फण्णे) ! ५२ मा मोयिसमा સાપશમિક સાત્તિપાતિક ભાવ છે.
प्रश्न-(कयरे से णामे उदइयउपसमियपारिणामियनिष्फण्णे १ 3 मापन् । દયિક શમિક પરિણામિક નામને ત્રીજો સાન્નિપાતિક ભાવ કે છે?
उत्तर-(उदइय उवसमियपारिणामियनिष्फण्णे ?) भौयिठीपशभिः पारि भि नामनी त्रीले सान्निपाति: १ मा प्रारना छे-(उदइयएति मगुस्से, बसंवा कसाया, पारिणामिए जी) मनुष्य गति मौयि माप),
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