Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 800
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १६१ पञ्चमसंयोगनिरूपणम् औदयिकोपशमिकक्षायिकक्षायोपशमिकपारिणा मकनिष्पन्नम् ?, औदयिकौपशमिकसायिक क्षायोपशमिकपारिणामिकनिष्पन्नम् औदयिकमितिमानुष्यम् , उपशान्ताः कषायाः, क्षायिकं सम्यक्त्वं, क्षायोपशमिकानि इन्द्रियाणि, पारिणामिको जीवः । (अस्थि णामे उदइय उपसमियखइयखओवसमियपारिणामियनिष्फण्णे?) औदयिक, औपशमिक. क्षायिक, क्षायोपशमिक और पारिणामिक इन पांचों भावों के संयोग से निष्पन्न हुआ औदयिकोपमिक क्षायिक क्षायोपशमिक पारिणामिक इस नामका सान्निपातिक भाव है । (कयरे से नामे उदइय उवसमियखइयख भोवसमियपारिणामिनिफण्णे ?) हे भदन्त ! औदयिकोपशमिक क्षायिक क्षायोपशमिक पारिणामिक नाम का जो पांचों भावों के संयोग से निष्पन्न सान्निपातिक-भाव वह कैसा है ? ___ उत्तर-(उदइयउवसमियखइयखओवसमियपारिणामियनिष्फण्णे) औदयिक, औपशमिक क्षायिक, क्षायोपशमिक और पारिणामिक इन पांचों भावों के संयोग से जो सान्निपातिक भाव निष्पन्न होता है वह ऐसा है-(उदइएत्ति मणुस्से उवसंता कसाया खइयं सम्मत्त खओव समियाइं इंदियाइं पारिणामिए जीवे) यहां इस सान्निपातिक भाव में मनुष्य गति यह औदयिकी है, उपशमित कषायें औपशमिक भाव है क्षायिक सम्यक्त्व क्षायिकभाव है इन्द्रियां क्षायोपशमिकभाव है जीवत्व मिय खइयखओवसमियपारिणामियनिष्फण्णे) मौयि४, सोपभिर, क्षायि, ક્ષા પથમિક અને પરિણામિક, આ પાંચે ભાને સોગથી બનતે “ઔદકિપશમિકક્ષાયિક ક્ષાપશમિક” નામને સાન્નિપાતિક ભાવ, આ मे मने छ. ____प्रश्न-(कयरे से णामे उदइयउवसमियखइयखओवसमियपारिणामियनिष्फण्णे :) હે ભગવન! ઔદયિક, ઔપથમિક, ક્ષાવિક, ક્ષાપશમિક અને પરિણામિક, આ પાંચે ભાવેના સંયોગથી નિપન્ન થતે સાન્નિપાતિક ભાવ કેવું છે? उत्तर-(उदइयउवसमियखओवसमियपारिणामियनिष्फण्णे) मोहयि પશમિક, ક્ષાયિક, ક્ષાપશમિક અને પરિણામિક, આ પાંચે ભાવોના सयोगथी लिप-न यत समिति मार मारने छ-(उदइएत्ति मणस्से, उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं, खओवसमियाइं इंदियाइं, पारिणामिए जीवे) | निति नाम भनुष्याति मोह४ि मा ३५ छ, शान्त કષા ઔપશમિક ભાવ રૂપ છે, ક્ષાયિક સપક્વ ક્ષાયિક ભાવ રૂ૫ છે, ઈન્દ્રિય ક્ષાપશમિક ભાવ રૂપ છે અને જીવત્વ પરિણામિક ભાવ રૂ૫ છે. For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864