Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १४६ त्रिनामनिरूपणम् कुदुरभिः । तथा-रसनाम-रस्यते-भास्वाधते इति रसस्तस्य नाम रसनाम तच्च-तिक्तकटुककषायाम्लमधुरनाम भेदात् पञ्चविधं प्रज्ञप्तम् । तत्र-तिक्तरसनाम - श्लेष्मादिदोषहन्ता रसा, तस्य नाम तिक्तरसनाम । तिक्तरससेवनफलमुक्तमायुः वेदशास्त्रे-"श्लेष्मामरुचिः पित्तं तृषं कुष्ठं विषं ज्वरम् । हन्यात्तिक्तो रसो बुद्धः कत्त
(से कि तं वण्णणामे) वह वर्णनाम क्या है ? . ___उत्तर-(वण्णणामे पंचविहे पण्णत्ते) वर्णनाम पांच प्रकार का कह गया है। (तं जहा) जैसे-(कालवण्णणामे, नीलवण्णनामे, लोहि यषण्णनामे, हालिद्दवण्णनामे, सुकिल्लवणनामे) काल कृष्ण-वर्ण नाम, नीलवर्णनाम, लोहितवर्णनाम, हारिद्रवर्णनाम, शुक्लवर्णनाम धूसर, अरूण रूप जो कपिशादि वर्ण हैं-वे संयोग से ही उत्पन्न होते है, इसलिये ये स्वतंत्रवर्ण नहीं हैं इसलिये इनका स्वतंत्र रूप से सूट में पाठ नहीं किया है। सुरभिगंध और दुरभिगंध के भेद से गन्ध गुण दो प्रकार का है । जो गंध अपनी ओर आकृष्ट करती है वह सुरभि गेंध और जो अपने से विमुख करती है वह दुरभिगंध है। तिक्त कटुक, कषाय, अम्ल और मधुर नाम के भेद से रस पांच प्रकार है श्लेष्म आदि दोषों को नष्ट करनेवाला जो रस है वह तिक्त रस तिक्त रस के सेवन का फल आयुर्वेद शास्त्र में ऐसा कहा है-मात्रा से
प्रश्न-से कि त वण्णणामे) मगवन् ! १ नामनु २१३५ ३ सय छ?
उत्तर-(वण्णणामे पंचविहे पण्णत्ते) पनाम पांय ५४१२ना i छे. (त'जहा) रेभ....(कालवण्णणामे, नीलवण्णणामे, लोहियवण्णणामे, हालिहवण्णणामे, सुकिल्लवण्णणामे) (१) नाम, (२) नीस नाम, (3) बोलत (२४) नाम, (९) द्रि (पाणी) व नाम, मन (५) शुसाशनाभ.
આ સિવાયના જે સર આદિ વણે છે, તેઓ ઉપર્યુક્ત વર્ણોના સગથી જ ઉત્પન્ન થાય છે, તેથી તેમને સ્વતંત્ર વર્ણ રૂપ ગણી શકાય નહી, તેથી અહીં તેમને સ્વતંત્ર પ્રકારો રૂપે બતાવવામાં આવેલ નથી સુરભિગમ (सु) मने दुमि (4) मेथी मथुना में प्रा२ ५ . જે ગંધ ને પિતાની તરફ આકર્ષે છે તે ગધને સુરભિગધ અને જે ગંધ જીવોને પિતાની તરફ ખેંચવાને બદલે વિમુખ કરે છે એવી ગંધને
मिस छ. २सना नीचे प्रमाणे पाय ५४२ छ-(१) तित (ती), (२) ४४४ (४७३t), (3) ४षाय (तु), (४) ma (माट!) मन (मधु२) કફ આદિ દેને નાશ કરનાર જે રસ છે તેનું નામ તિક્તરસ છે. આયુર્વેદ શાસ્ત્રમાં તિક્તરસના સેવનને નીચે પ્રમાણે લાભ બતાવ્યા છે–માત્રામાં
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