Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 744
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १५५ क्षायोपशमिकभावनिरूपणम् ७२७. बालपण्डितवीर्यलब्धिरिति बोध्यम् । अयं भावः-पण्डिताः साधवः, बालाअविरताः, बालपण्डिताः देशविरताः। एषां स्वस्ववीर्यान्तरायकर्मक्षयोपशमेन स्वस्ववीर्यलब्धिः प्रादुर्भवतीति । तथा-क्षायोपशमिकी श्रोत्रेन्द्रियलब्धिः यावत् सायोपशमिकी स्पर्शेन्द्रियलब्धिः। अत्र-इन्द्रियाणि लब्ध्युपयोगरूपाणि भावेन्द्रियाणि बोध्यानि, तेषां लब्धिःमतिश्रतज्ञानचक्षुरचक्षुदर्शनावरणक्षयोपशमजन्यत्वात् क्षायोपशमिकीति बोध्यम्। तथा-क्षायोपशमिक आचारागधर इत्यारभ्य क्षायोपशमिको वाचक इत्यन्तोऽपि श्रुतज्ञानावरणकर्मक्षयोपशमजन्यो बोध्यः। आचाराङ्गधरत्वादि पर्याया हि श्रुतज्ञानमभवाः, श्रुतज्ञानं च तदावरणकर्म क्षयोपशमेन निष्पद्यते, अत आचाराङ्गधरादयः क्षायोपशमिका बोध्या इति भावः । पीरियलद्धी) क्षायोपशमिकी वीर्यलब्धि, (एवं पंडियवीरियलद्वी) पंडित वीर्यलब्धि (पाल वीरियलद्धी) बालवीर्यलब्धि (बालपंडियवीरियलद्धी) बालपंडित वीर्यलब्धि (खओवसमिया सोइंदियलद्धी) क्षायोपशमिकी श्रोत्रेन्द्रियलन्धि (जाव) यावत् (खओवसमिया फासिदियलद्धी)क्षायोपशमिकी स्पर्शन इन्द्रिलब्धि (खोवसमिए आयारंगधरे) क्षायोपशमिक आचारांगधारी, (एवं सुयगडंगधरे, ठाणंगधरे, समवायंगधरे, विवाहपप्रणत्तिधरे, नायाधम्मकहाधरे)सूत्रकृताङ्गधारी, स्थानांगधारी, समवायाधारी, विवाहप्रज्ञप्तिधारी ज्ञाताधर्मकथाधारी (उवासगदसाधरे) उपासकदशाधारी, (अंतगडदसाधरे) अन्तकृदशाधारी, (अणुत्तरोववाइयदसाघरे) अनुत्तरोपपातिक दशाधारी, (पण्हावागरणधरे) प्रश्नव्याकरणधारी, (विवाग सुयधरे) विपाक अतधारी (खोवसमिए दिहिवायधरे) क्षायोपशमिक दृष्टिवादधारी (खओवसमिए णवपुव्वी) क्षायोपशमिक नवबालवीरियलद्धी, बाळपंडियवीरियलद्धी) क्षामिडी तिवीय , ia. વીર્ય લબ્ધિ અને બાલપંડિતવીર્યલબ્ધિ. (खभोबसमिया सोइंदियलद्धी जाव खओवसमिया फासिंदियलद्धी) क्षायो५.. શમિકી શ્રોત્રેન્દ્રિયલબ્ધિથી લઈને ક્ષાપશમિકી સ્પર્શેન્દ્રિયલબ્ધિપર્યન્તની પાંચ ४२नी समे, (खोवसमिए आयारंगधरे) क्षायो५मि मायारागधारी, (एवं सुयगडंगधरे, ठाणंगघरे, समवायंगधरे, विवाह पण्णत्तिधरे, नायाधम्मकहाधरे, वा. सगदसाधरे, अणुत्तरोववाइयदसाधरे, पाहावागरणधरे, विवागसुयधरे,) मे प्रभार) ક્ષાપશમિક સૂત્રકૃતાં.ધારી, સ્થાનાંગધારી, સમવાયાંગધારી, વિવાહપ્રજ્ઞપ્તિ (०याभ्याप्रशसियारी, SIAMAधारी, मन्तताधारी, अनुत्तरी५५ति. धारी, प्रश्न०या४२५धारी विश्रुतधारी, (खओवसमिए दिद्विवायधरे) For Private and Personal Use Only

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