Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १४२ भावानुपूर्वीनिरूपणम् पूर्वानुपूर्वी। सैषा पूर्वानुपूर्वी ति। पश्चानुपूर्वा तु सान्निपातिकाद्यौदयिकान्त बोध्या। तथा-औदयिकादि सान्निपातिकान्तानां पण्णां पदानामन्योन्याभ्यास द्विरूपोन:-आधन्तपदद्वयविवक्षामपहाय ये भङ्गास्तदात्मिकाऽनानुपूर्वी बोध्या सब के अन्त में सान्निपातिक भाव का उपन्यास किया गया है। (से तं पु०) इस प्रकार यह भावों की पूर्वानुपूर्वी है । (से किं तं पच्छाणु पुन्वी) हे भदन्त ! पश्चानुपूर्वी क्या है ? (पच्छाणुपुव्वी) पश्चानुपूर्वी इस प्रकार से है-(संनिवाइए जाव उदइए) सान्निपातिक भाव से लेकर
औदयिक भाव तक पश्चानुपूर्वी है । (से तं पच्छाणुपुब्बी) यही पूर्वप्रका न्त भावों की पश्चानुपूर्वी है । (से किं तं अणाणुपुव्धी ? ) हे भदन्त भावों की अनानुपूर्वी क्या है ? (एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियार छ गच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नम्भासो दुख्खूगो) औदयिकादि सान्नि पातिकान्त छह पदों को परस्पर में गुणा करना और गुणित राशिरूर भागों में से आदि अन्त के पदव्य की विवक्षा को कम करना इस प्रकार जो भंग बचते हैं उन भंग स्वरूप यह भावो की (भणाणु पु० अनानुपूर्वी है । (से तं अशाणुपुव्वी) यही पूर्वप्रक्रान्त अनानुपूर्वी है (से तं भावाणुपुव्वी) इस प्रकार यह भावानुपूर्वी है। (से तं आणुपुव्वी)
सान्निति मापन। ५-यास ४२पामा मा०ये। छे. (से तं पुवाणुपुव्वी) मा પ્રકારની આ ભાવની પૂર્વાનુમૂવી છે.
प्रश्न-(से किं तं पच्छाणुपुठवी १ ) 3 भगवन्! भावानुषी नी पश्चानुपू. વનું સ્વરૂપ કેવું છે?
उत्तर-(पच्छाणुपुत्री) पश्चानुपूर्वानु २१३५ मा ५२नु छ-(संनिवाइए जाव उदइए) पूरानुपूवी १२di aau भना-मेट है सान्निति माथा લઈને ઔદયિકભાવ પર્યન્તના-ભાવે ને પશ્ચાનુપૂવ કહે છે.
प्रश्न-(से कि तं अणाणुपुठवी?) 3 मान्! सावनी अनानुदान સ્વરૂપ કેવું છે?
उत्तर-(एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए छ गच्छगयाए सेढीए अनमन्न. भासो दूरुवूणो) मौयि४थी ने सान्निपाति ५५ तना छ पहीना ५२९५રની સાથે ગુણાકાર કરે, અને તેને લીધે જે રાશિરૂપ ભાંગાઓ આવે તેમાંથી આદિ અને અન્તના બે ભાગાઓ બાદ કરવાથી જે ભાંગાએ બાકી २ छे, ते म ! ३५ (अणोणुपुत्री) मनानुपू सभापी.
(से त भावाणुपुत्री) मा प्ररनी लानुनी य छे (से त आणुપુરી) આ પ્રકારે નામાવીથી લઈને ભાવાનુપૂવ પર્યન્તની દસે આનુપૂ. વઓના રૂપનું નિરૂપણ અહીં પૂરું થાય છે, એ વાત સૂચિત કરવા માટે
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