Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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__ अनुयोगद्वारसूत्र बोध्यम् । इत्थमेकाक्षरानेकाक्षरेति द्विप्रकारेण नाम्ना विवक्षितस्य समस्तस्यापि वस्तुजातस्य प्रतिपादनाद् द्विनामेत्युच्यते। द्विरूपं सत् सर्वस्य नामेति द्विनाम। द्वयोनाम्नोः समाहार इति पक्षे तु द्विनामे तिच्छाया बोध्या। अथ प्रकारान्तरेण द्विनाम निरूपयति-अथवा-द्विनाम द्विविधं प्रज्ञप्तम्, तद्यथा-जीवनाम च अजीवनाम चेति । तत्र-देवदत्तयज्ञदत्तादिभेदेन जीवनाम अनेकविधम् । तथा-घटपटादिभेदेनाभी अनेकाक्षर निष्पन्न नाम में अन्तर्हित जानना चाहिये । इस प्रकार एकाक्षर और अनेकाक्षर से निष्पन्न दो प्रकारवाले नाम से, विवक्षित समस्त भी वस्तु समूह का प्रतिपादन होता है इससे दो नाम ऐसा कहा जाता है। "द्विरूपं सत् सर्वस्य नामेति विनाम" सर्व का नाम दो रूपवाला होता है। इसलिये वह द्विनाम है। एकाक्षरिक और अनेकाक्षरिक ये ही नाम के दो रूप है। "द्वयोः नाम्नोः, समाहारः इति हिनाम" इस पक्ष में भी बिनाम ऐसी ही छाया जाननी चाहिये। ; अब सूत्रकार प्रकारान्तर से द्विनाम का निरूपण करते हैं-(अहवादुनामे दुविहे पण्णत्ते) अथवा-द्विनाम दो प्रकार का प्रज्ञप्त-हुआ है (तं जहा) जसे (जीव नामे य अजीव नामे य) जीव नाम और अजीव नाम (से कि तं जीवनामे !) हे भदन्त ! जीव नाम क्या है ?(जीवनामे अणेगविहे पण्णत्ते) जीव नाम अनेक प्रकार का प्रज्ञप्त हुआ पताका" मात्र अक्षराथी नि०पन्न यता नाभन भन क्ष२ निपन्न नाममा જ સમાવેશ કરે જોઈએ આ પ્રકારે એકાક્ષર અને અનેકાક્ષર વડે નિષ્પન્ન થતા બે પ્રકાશવાળા નામ વડે વિવક્ષિત સમસ્ત વસ્તુસમૂહનું પ્રતિપાદન થાય
तथा तन द्विनाम ३५ वामां आवे छे. "द्वि ला सत् सर्वस्य नामेति द्विनाम सेवन नाम मे ३५वाणु डाय छे, तेथी त द्विनाम ३५ छ । क्षरि माने भने।क्ष४ि, मे , नामनामे ३॥ छ. “द्वयोः नाम्नोः समाहारः इति द्विनाम" मा पक्ष पर विनाम' सेवी छाया समभवी જોઈએ હવે સૂત્રકાર બીજી રીતે દ્વિનામનું નિરૂપણ કરે છે–
(अहवा-दुनामे दुविहे पण्णत्ते) अथवा-द्विनाम से प्रारना ४ा छ(तजहा) में ५४॥२॥ नीय प्रमाणे छ-( जीवनामे य, अजीवनामे य) (१) नाम भने (२) म नाम.
प्रश्न-से किं तं जीवनामे?) भवन ! पनाम मेटले शु.१
उत्तर-(जीवनामे अणेगविहे पण्णत्ते) मन भने ४२ ४॥ छे. (तजहा) भ ...(देवदत्तो जण्णदत्तो विण्डत्तो सोमदत्तो) हेपत्त, यज्ञहत्त, पशुहत्त, साभहत्त, वगेरे.
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