Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अध। गवन्द्रिका टीका सूत्र ७१ शाखभावोपक्रमनिरूपणम्
छाया--अथवा-उपक्रमः पविधः प्रज्ञप्तः, तथया-आनुपूर्वी १, नामर, प्रमाणं३, वक्तव्यता४, अर्थाधिकार:५ समवतारः ६ ॥० ७१॥
टीका-अहवा इत्यादि
पूर्व गुरुभावोपक्रमः प्रदर्शितः संप्रति शास्त्रभावोक्रमः प्ररूप्यते-'अथवे -ति, अथवा-अनन्तरं-गुरुभावोपक्रमवर्णनानन्तरम् उपक्रमः-शास्त्रभावोपक्रमः षड्विधः प्रज्ञप्तः । 'तं जहा' इत्यादि, तद्यथा-पथा तस्य भावोपक्रमस्य पवियों तदुच्यते 'आणुपुव्वी' इत्यादिना । तत्र प्रथम उपक्रम आनुपूर्वी१, द्वितीयो नाम २, तृतीयः प्रमाणम्३, चतुर्थों वक्तव्यता४, पञ्चमः-अर्थाधिकार:६, षष्ठः समवतारः ६ इति । ।मु० ७१॥
अब सूत्रकार "गुरुमाईणं" इस पद में आदि पद से सूचित शास्त्रभावोपक्रम का निरूपण करने के लिये "अहवा" इत्यादि सूत्र कहते हैं: - ___ "अहवा उवकमे छबिहे" इत्यादि । ॥सूत्र ७१॥
शब्दार्थ--(अहवा) अथवा (उवक्कमे) उपक्रम (छविहे) छह प्रकार का (षण्णत्ते) कहा गया है । (तंजहा) वे प्रकार ये हैं-(आणुपुची १, नामं २, पणाम ३, वत्तब्वया ४, अत्थाहिगारे ५, समोयारे ६,) आनुपूर्वी १, नाम २, प्रमाण ३, वक्तव्यता ४, अर्थाधिकार ५, और समवतार ६, पहिले गुरुभावोपक्रम का कथन सूत्रकारने करदिया है। अब वे आदिपद से सूचित शास्त्र भावोपक्रम का निरूपण करते हैं-यहां उपक्रम पद से शास्त्रभावोपक्रम लिया गया है। अतःशास्त्रोक्त भावोपक्रम पूर्वोक्तरूप से ६ प्रकार का है ऐसा सूत्र का संक्षिप्तार्थ है। ॥मत्र ७१॥
स्व सूत्रा२ "गुरुमाईणं" AL. ५मा आदि पायी सथित शालामतु ३५ ४२वाने भारे "अहवा" त्यादि सूत्र ४यन ४२ - ..
"अहवा उवक्कमे छबिहे"-त्याह
AurQ-(अहवा) भयका (उपक्कमे छविहे पणते) 6484 ७ रनो ४ो छ. (तंजहा) ते ७ । नीय प्रभाएं छ-(आनुपुव्वी, नाम, पणाम, वनव्वया, अत्याहिगारे, समोयारे) (१) माली , (२) नाम, (3) प्रमा, (४) १४०यता (५) अधि२ अने समवतार.
પહેલાં ગુરૂભાવપક્રમનું પ્રતિપાદન સરકારે કરી લીધું. હવે તેઓ આદિપદથી सथित शास्त्रमावा५४भनु नि३५ ४३ छ- मा पात "अहवा" मय पथा સુચિત થાય છે. અહીં ઉપક્રમ પહથી શાસ્ત્રભાવપક્રમ ગૃહીત થયેલ છે. તેથી શાસ્ત્રોકતમામ પૂતરૂપે આ પ્રકારને હેાય છે એમ સત્રને સંક્ષિપ્તાથ છે. મસાલા
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