Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
भनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र ९५ समवतारस्वरूपनिरूपण
४०१ अवत्तव्वगदम्बेहिं समोयरांति । एवं दोन्नि वि सट्टाणे सट्टाणे समोयरंति । से तं समोयारे ॥सू०९५॥
छाया-भय कः स संग्रहस्य सावतारः१ संग्रहस्य समवतारः-संग्रहस्य भानुपूर्वाद्रव्याणि कुत्र समवतरन्ति ? किमानुपूर्वीद्रव्येषु समस्तरन्ति ? अनानुपूर्वीद्रव्येषु समवतरन्ति ? अवक्तव्यकद्रव्येषु समक्तरन्ति ? संग्रहस्य भानुपूर्वीद्रव्याणि
भय सूत्रकार संग्रहनय मान्य समवतार का स्वरूप कहते हैं"से कितं" इत्यादि।
शब्दार्थ-(से कि तं संगहस्स समोयारे) हे भदन्त संग्रहनय मान्य समवतार का क्या स्वरूप है ?
उत्तर- (संगहस्स समोयारे ) संग्रहनय मान्य समवतार का स्व. रूप इस प्रकार से है समवतार का अर्थ समावेश- मिलना है। अर्थात् आनुपूर्वी आदि जो द्रव्य है उनका अन्तर्भाव मिलना स्वस्थान में होता है या परस्थान में होता है ? इस प्रकार चिन्तन प्रकार का जो उत्तर है वह समावेश है। यह विचार प्रकार इस प्रकार से होता है कि संग्रह नय संमत आनुपूर्वी द्रव्य कहाँपर समाविष्ट होते हैं ? (किं आणुपन्वेदि समोयरंति ! अणाणुपुग्वेहि-समोयरंति, अवत्तपगदन्वेहिं समोपरति ?) क्या आनुपूर्ण द्रव्यों में समाविष्ट होते हैं? या अनानुपूर्वीद्रव्यों में समाविष्ट होते हैं या भवक्तव्यक द्रव्यों में समाविष्ट होते है।
હવે સૂત્રકાર સંગ્રહનયમત સામાવતારના સવરૂપનું નિરૂપણ કરે છે– " क "gulls
Arti-(से कि त संगहस्प समोबारे) सन् ! न સંમત સમવતારનું સ્વરૂપ કેવું છે?
त्ति-"गइस्स समोयारे" सनमान्य समवतार ५१३५ આ પ્રકારનું -(સઅવતાર એટલે સમાવેશ અથવા મિલન) એટલે કે
આપવી આદિ જે દ્રવ્યો છે તેમને અન્તભાવ (સમાવેશ) અવસ્થાનમાં થાય છે કે પરસ્થાનમાં થાય છે?” આ પ્રકારની વિચારધારાને જે ઉત્તર છે, તેનું નામ સમવતાર છે અ. વિચારધારા આ પ્રમાણે ચાલે છે–સંગઠનયસંમત भानवी योना या समावेश याय छ १ (रिपाणपुयी दन्नहि समोपरति ? भणाणुपुत्वीदनेहि समोयरंति ! अवसव्वगदव्बेहि पमोयरंति !) मानवी ઇમાં સમાવિષ્ટ થઈ જાય છે-મળી જાય છે કે અનાનુપૂવી દ્રોમાં સમાવિષ્ટ થઈ જાય છે ? કે અવકતવ્યક દ્રવ્યમાં સમાવિષ્ટ થઈ જાય છે.
म. ५२
For Private and Personal Use Only