Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगद्वारसूत्रे
विमानान्युच्यन्ते । ईपत्याग्मारा-माराकान्तपुरुषवदीपन्नतत्वात् एषा ईषमाग्भारेस्युच्यते । इयं सौधर्मादीषत्प्राग्भारान्ता पूर्वानुपूर्वी। तथा ईषत्प्राग्भारा यावत् सौधर्म इति पश्चानुपूर्वी। तथा-अनानुपू] तु सौधर्मादिपञ्चदशपदानामन्योऽन्याअनुत्तरविमानस्थ लोक की-अपेक्षा और दूसरे विमान-उत्तर-श्रेष्ट नहीं है-इसलिये वे विमान अनुत्तर विमान कहे गये हैं । भार आक्रान्त पुरुष की तरह कुछ झुकी हुई होने से यह ईषत्प्रारभारा इस नाम से कही गई है। सौधर्म से लेकर ईषत् प्रारभारा भूमि तक पूर्वानुपूर्वी है। (से किं तं पच्छाणुपूव्वी) हे भदन्त पश्चानुपूर्वी क्या है ?
उत्तर-(पच्छाणुपुव्वी) पश्चानुपूर्ण इस प्रकार हैं-(ईसिपाभाराजाव सोहम्मे) इषत् प्रारभारा भूमि से लेकर जो सौधर्म देवलोक तक व्यु. स्क्रम से गणना है ! (से तं पच्छाणुपुन्धी ) वह पश्चानुपूर्वी है । (से कि तं अणाणुपुवी ?) हे भदन्त ऊर्ध्वलोक सबन्धी अनानुपूर्वी क्या है ? ___ उत्तर-(अणाणुपुव्वी) ऊर्ध्वलोक सबन्धी अनानुपूर्वी इस प्रकार से हैं। (एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए पन्नरसगच्छगयाए सेढीए अन्न मन्न भासो दूरुवणो) इस अनानुपूर्वी में जो श्रेणी स्था. અનુત્તર વિમાનથ લેકના કરતાં અન્ય કઈ પણ વિમાન શ્રેષ્ઠ નથી, તે કારણે તે શ્રેષ્ઠ વિમાનને અનુત્તર વિમાને કહ્યા છે. જેમ કે ભારને વહન કરતે પુરુષ સહેજ ઝૂકી જાય છે એ જ પ્રમાણે આ વાગ્યારા પૃથ્વી પણ સહેજ ઝૂકેલી હોવાને કારણે તેનું નામ ઈષ~ામારા પડયું છે. સૌધ. મથી લઈને ઈ~ાગ્યાર પર્યન્તનાં પને કમપૂર્વક ઉપન્યાસ કરવો તેનું નામ પૂર્વાનુમૂવી છે
प्रश्न-(से कि तं पच्छाणुपुब्बी?) अमरपन् ! ५श्वानुभूती नु ५१३५ छ ?
उत्तर-(पच्छाणुपुव्वी) ५श्वानुनी मानी -(ईसिपम्भारा जार मोहम्मे) पत्न.मा भिथी २३ श२ सौधम ६५ ५-तना सत्राना ઊલટા ક્રમમાં જે ઉપન્યાસ કરવામાં આવે છે-ગણુતરી કરવામાં આવે છે (से तं पच्छाणुपुव्वी) तेनु नाम पश्चानुवाछ
प्रश्न (से कि तं षणाणुपुवी?) Galas vी मनातीनु સ્વરૂપ કેવું છે?
उत्तर-(अणाणुपुव्वी) Balate समधी मनानु५वीमा प्रकार है(एयाए चेव एगाइयाए एगुत्तरियाए पन्नरसगच्छगयाए सेढीए अन्नमन्नमामो दूरूवूणो) मा मनानुपूर्वाभा २ et स्थापित ४२पामा मा छे ते सौथा
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