Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र १३५ अनौपनिधिकीकालानुपूर्वी निरूपणम् ५८७ सूचयितुमाह से तं' इत्यादि । सैषा नैगमव्यवहारसम्मता अनौपनिचिकी कालानुपूर्वी || सू० १३४॥
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अथ संग्रहनयम तेन अनौपनिधिकीं कालानुपूर्वी माहमूलम् - से किं तं संगहस्स अणोरणिहिया कालाणुपुन्नी ? संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुव्वी पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - अत्थपयपरूवणया, भंगसमुक्कित्तणया, भंगोवदंसणया, समोयारे, अणुगमे ॥ सू० १३५॥
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छाया-अथ का सा संग्रहस्य अनौपनिधिकी काळानुपूर्वी ? संग्रहस्य अनौ है। इसको समाप्त होते ही नैगमव्यवहारनयसंगत अनौपनिधिकी कालानुपूर्वीका यह प्रकरण समाप्त हो रहा है इस बात को सूचित करने के लिये सूत्रकार कहते हैं कि ( से तं गमववहाराणं अणोवणिहिया काला goat ) इस प्रकार से यह नैगमव्यवहारनयसंमत नौनिधिकी कालानुपूर्वी है । सू० १३४॥
अब सूत्रकार संग्रहनय के मन्तव्यानुसार अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी का कथन करते हैं - "से किं तं संगहस्स" इत्यादि ।
शब्दार्थ -- (से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुच्ची ) हे भदंत | संग्रहनयमान्य अनौपनिधिकी कालानुपूर्वी क्या है ?
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उत्तर ( संगहस्स अणोवणिहिया) संग्रहनय मान्य अनौपनिघिकी (कालाणुपु०वी) कालानुपूर्वी (पंचविहा पण्णत्ता) पांच प्रकार की છે. ” આ કથન પન્તનુ ક્ષેત્રાનુપૂર્વી ના પ્રકરણમાંનુંસમત કયન અહી ગ્રહણુ કરવુ જોઈએ તેની સમાપ્તિ થતાં જ નગમવ્યવહાર નયસ'મત અનૌપનિધિકી કાલાનુપૂર્વીનું આ પ્રકરણ સમાપ્ત થઈ રહ્યું છે, એ વાતને સૂચિત ४२वाने भाटे सूत्रा२ मा प्रभा डे - ( से तं णेगमववहाराणं अणोवणिहिया कालाणुपुब्वी ) "नेगरव्यवहार नयसभित मनोपनिषिडी असानुपूर्वीनु ઉપર મતાવ્યા પ્રમાણેનુ સ્વરૂપ છે. ’ પ્રસ્॰૧૩૪ા
હવે સૂત્રકાર સંગ્રહનયના મતવ્ય અનુસાર અનૌપનિષિકી કાલાનુપૂ वनु उथन पुरे -" से किं तं संगहस्स " इत्यादि
शब्दार्थ - (से किं तं संगहस्स अणोवणिहिया कालाणुपुष्षी १) हे भगवन् ! # અહનયમાન્ય અનૌપનિધિકી કાલાનુપૂર્વીનું સ્વરૂપ કેવુ' છે ?
१- (संगहस्स अणोबणिहिया कालाणुपुब्वी पंचविद्या पण्णत्ता) सभनय
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