Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगवारसूत्रे
अथ मिद्रव्यस्कन्धं निरूपयति-
मूलम् -- से किं तं मीसए दव्वखधे ? मीसए दत्वख घे अणेगविहे पण्णत्त, तं जहा - मेणाए अग्गिमे खधे, सेणाए मज्झिमे खने, सेणाए पच्छिमे खंधे, से तं मीतए दुव्वखंधे ॥सू० ५०
छाया -- अथ कोऽसौ मिश्रको द्रव्यस्कन्धः १ मिश्रको द्रव्यस्कन्धः - अनेक विधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - सेनाया अग्रिमःस्कन्धः सेनाया मध्यमः स्कन्धः, सेनायाः पश्चिमः स्कन्धः । स एष मिश्रको द्रव्यस्कन्धः ||सू० ५० ॥
टीका 'से किं तं' इत्यादि --
अथ कोऽसौ मिश्रको द्रव्यस्कन्धः १ इति शिष्य प्रश्नः । उत्तरमाह - मिश्रकःसचेतनाचेतन संकीर्णो मिश्रः स एव मिश्रकः एवंचित्रो द्रव्यस्कन्धः अनेक
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अब सूत्रकार मिश्रद्रव्यस्कंध का वर्णन करते हैं, " से किं तं मीसए" इत्यादि । || सूत्र ५० ॥
शब्दार्थ - (सेतं मीसा दव्वख घे) हे भदन्त । मिश्र द्रव्यस्कंध का क्या स्वरूप है ?
उत्तर- (मीसए दम्बख घे अणेगविहे पण्णस) मिश्रद्रव्यस्कंध अनेक प्रकार का कहा गया है। (तं जहा ) जैसे - ( सेणार अगिमेखधे, सेणाए मज्झिमेव वै सेणाए पच्छिमे खधे, से तं मीसए दव्वखं धे) सेना का अग्रिम स्कंध, सेना का मध्यमस्कंध, सेना का पश्चिमस्कंध ) इस प्रकार से यह मिश्र द्रव्यस्कंध है सचेतन और अचेतन इन दोनों का मिश्रण जहाँ होता है उसका नाम मिश्र
હવે સૂત્રકાર મિશ્ર દ્રશ્યસ્કન્ધનું' નિરૂપણ કરે છે— "से किं तं मीसए" धत्याहि
शब्दार्थ - ( से किं तं मीसए दव्वखधे) हे महन्त ! मिश्र द्रव्यसन्ध स्व३५ ठेवु छे.
२ - ( मीस दव्वखंधे अणेग विहे पण्णत्त) मिश्र द्रव्यसन्धना भने अर उद्या छे. (तंजहा) भ .........
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सेणार अनिमे खधे, सेणाए मज्झिमे खधे, सेणाए पच्छिमे खंधे से तं मीस दव्वखं धे) (1) सेनानो अग्रिम २४न्ध, (२) सेनानी मध्यमस्म्न्ध अने (3) સેનાના પશ્ચિમ (અન્તિમ) સ્કન્ધ આ પ્રકારનું આ મિશ્ર દ્રવ્યસ્કન્ધનું સ્વરૂપ છે.