Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगद्वारस्त्रे छाया-अथ कोऽसौ उपक्रमः ? उपक्रमः पविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-नामोपक्रमः स्थापनोपक्रमः द्रव्योपक्रमः क्षेत्रोपक्रमः कालोपक्रमो भाबोपक्रमः नामस्थापने गते । अथ कोऽसौ द्रव्पोपक्रमः ? द्रव्योपक्रमो द्विविधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा-आगमतश्च नोआगमतश्च भव्यशरीरव्यतिरिक्तो द्रव्योपक्रमस्त्रिविधः प्रज्ञप्तः तद्यथा-सचित्तः, अविशः मिश्रकः ॥६॥
उपक्रम शास्त्रीय उपक्रम और लौकिक उपक्रम के भेद से दो प्रकार का है-इनमें लौकिक उपक्रम का .या स्वरूप है यह सूत्रकार प्रकट करते हैं
“से कि त उवक्कमे" इत्र. दि ॥सत्र ६१॥
शब्दार्थ--(से कि तं उबक मे) हे भदन्त ! उपक्रम का क्या तात्पर्य है ? उत्तर--(उपक्कमे छविहे पण्ण ) उपक्रम छ प्रकार का कहा गया है। (तंजहा) जैसे (णामोवक्कमे, ठवणोरक्कमे, दव्बोवक्कमे, खेत्तोवक्कमे, कालोवक्कमे, भावोवक्कमे) नाम उपक्रम, स्थापना उपक्रम द्रव्य उपक्रम, क्षेत्रउपक्रम, कालउपक्रम और भावउप म । (नामठवणाओ गयाओ) नाम उपक्रम और स्थापना उपक्रम का स्वरूप नाम आवश्यक और स्थान आवश्यक के समान जानना चाहिये । (से किं तं दव्योवक्कमे) हे भदन्त । द्रव्योपक्रमे का क्या स्वरूप है ? (दबोवक्कमे दुविहे पण्णत्ते) द्रव्योप म दो प्रकार का कहा गया है। (तं जहा) जसे (आगमओ य नोआगमओ य जाव जाणयसरीर भवियसरीर
ઉપક્રમના શાસ્ત્રીય ઉપક્રમ અને લૌકિક ઉપક્રમ નામના બે ભેદ કહ્યા છે. તેમાંથી લૌકિકઉપ મનું સૂત્રકાર હવે નિરૂપણ કરે છે –
"से किं तं उवक्कमे" त्या
हाथ-(से कि त उवक्कमे ?) शिप्य शुरुने मेवो प्रश्न पूछे छे है ગુરુમહારાજ ! ઉપક્રમનું સ્વરૂપ કેવું છે?
१२- (उवक्कमें छविहे पण्णत्ते) 63 ६ ॥२॥ ४ो छ-(तंजहा) તે પ્રકારે નીચે પ્રમાણે છે. (णामोवक्कमे, ठवणोवक्कमे, दव्योवक्कमे, खेत्तोवकामे, कालोवक्कमे, भाओवक्कमे) (१) नाम ५४भ, स्थापना उपभ, (3) ६०५५31, (४) क्षेत्रउपम (५) - ७५४म अने (६). HIS५४भ. (नामउवणाओ गयाओ) नाम भने स्थापना ઉપક્રમનું સ્વરૂપ નામ આવશ્યક અને સ્થાપના આવશ્યક જેવું સમજવું. (से किं तदव्योवक्कमे ?) प्रश्न-डे गुरुमहा। ! द्र०ये।५४मनु २१३५ छ ? ___उत्तर-(दव्योवक्कमे दुविहे पण्णत्ते) द्र०या५म में प्रा२ने यो छ. (तनहा) न....(आगमओ य, नोआगमओ य जाव जाणयसरीरभवियसरीवइरित्ते दब्यो
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