Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 01
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अनुयोगद्वारस्ते छाया-अथ कोऽसौ मिश्रको द्रव्योपक्रमः स एव स्थासकादर्शकादिमप्डितः अश्वादिः । स एष मित्रको द्रव्योपक्रमः । स एष ज्ञायकशरीरभव्यशरीरध्यतिरिक्तोद्रव्योपक्रमः । स एष आगमतो द्रव्योपक्रमः। स एष द्रव्यापक्रम ॥०६७।।
टीका--शिष्य पृच्छति-से किं तं' इत्यादि । अथ कामो मिश्रको द्रव्योपक्रमः ? इति । उत्तरमाह मिश्रक :सचित्ताचित्तात्मका द्रव्योपत्रमः-स्थासकादर्शकादि मण्डितः-स्थासका अश्वाभरण विशेषः, आदर्श:-पग्रीवाम रण विशेषः, आदि शन्दात् बुङ्कमादयः, एषां समासः, तेर्मण्डितः भूषितः अश्वा
अब सूत्रकार मिश्र द्रव्योपक्रम का कथन करते है“से किं तं मीसए दवावको" इत्यादि । ॥० ६७॥
शब्दार्थ---(से किं तं मीसए दवाव कमे) हे भदन्त ! मिश्र द्रव्योपक्रम क्या स्वरूप है ?
उत्तर--(मीलए दवावकमे से चेव थासगआयंसगाइमंडिए आसाई-से त मी ए दव्योवक्कमे) सचिनात्मक-मिश्र-द्रव्योपक्रम का स्वरूप इस प्रकार से है-कि अचित्त स्थासक और आदर्श आदि से विभूषित हुए घोडे से लेकर बैल तक के जानवरों में जो शिक्षा आदि गुण की विशेषता करने का उपक्रम किया जाता है वह परिवम विषयक मिश्रद्रव्योपक्रम हे । शासक यह घाडे का आभरण विशेष है । आदर्श यह बैल या आभरण विशेष है । एडक शब्द का अर्थ मेष हैं। स्थासक-आदर्श और आदि पद से गृहीत कुंकुम का लेप હવે સૂત્રકાર મિશ્ર પ્રક્રિમના સ્વરૂપનું નિરૂપણ કરે છે
“से किं तं मीसए दवावक्कमे" त्याla
शहाथ-(से कि त' मीसए दव्योवक्कमे?) शिष्य गुरुने मेरे प्रश्न पूछे छ - सगवान् ! मिश्र द्रव्योभनु ५१३५ यु छ ?
उत्तर-(मीसए दव्यावकमे से चेव थासगआयंसगाईमंडिए आसाइ-से तमीपए दवावकमे)
સચિત્તાત્મક મિશ્ર દ્રપક્રમનું સ્વરૂપ આ પ્રકારનું છે- અચિત્ત થાસક, દર્પણ આદિથી વિભૂષિત થયેલા ઘેડાથી લઈને બળદ પર્યન્તના જાનવરોમાં જે શિક્ષા આદિ ગુણની વિશેષતા કરવાનો ઉપક્રમ કરવામાં આવે છે, તેને પરિકર્મ વિષયક મિશ્ર કપક્રમ કહે છે. સ્થાસક” આ ઘડાનું એક ખાસ આભરણ છે भने पनी मा हर्नु माम२९ विशेष छ. 'एडक' PAL A६ मेष (..) ને વાચક છે. થાસ, દર્પણ, કુકમને લેપ આદિ અચિત્ત દ્રવ્યો છે તથા અશ્વ,
For Private and Personal Use Only