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* जैन-तत्व प्रकाश
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का विमान है | X चन्द्र विमानवासी देवों की आयु जघन्य पाव पल्योपम की और उत्कृष्ट एक पल्योपम तथा एक लाख वर्ष की है । इनकी देवियों की आयु जघन्य पाव पल्योपम की और उत्कृष्ट आधे पल्योपम की तथा ५०००० वर्ष की है । चन्द्रविमान को भी १६००० देव उठाते हैं ।
चन्द्रविमान से ४ योजन ऊपर नक्षत्रमाला है । इनके विमान पाँचों वर्णों के रत्नमय हैं। एक-एक कोस के लम्बे-चौड़े और आधे कोस के ऊँचे हैं | नक्षत्र - विमानों में रहने वाले देवों की श्रायु जघन्य पाव पल्योपम की तथा उत्कृष्ट आधे पल्योपम की है । इनकी देवियों की आयु जघन्य पाव पल्योपम की और उत्कृष्ट पाव पल्योपम से कुछ अधिक की है । नक्षत्रविमान को ४००० देव उठाते हैं ।
नक्षत्रमाला से ४ योजन ऊपर ग्रहमाला है । ग्रहों के विमान भी पाँचों वर्णों के रत्नमय हैं । ग्रह - विमान दो कोस लम्बे-चौड़े और एक कोस उँचे हैं । ग्रह - विमानवासी देवों की आयु जघन्य पाव पल्योपम की और उत्कृष्ट एक पल्योपम की है। इनकी देवियों की जघन्य श्रायु पाव पल्योपम की और उत्कृष्ट आयुधे पल्योपम की है । ग्रह के विमान को ८००० देव
उठाते हैं।
ग्रहमाला से चार योजन की ऊँचाई पर हरित-रत्नमय बुध का तारा है । इससे तीन योजन ऊपर स्फटिकरत्नमय शुक्र का तारा है । इससे तीन योजन ऊपर पीत-रत्नमय वृहस्पति का तारा है । इससे तीन योजन ऊपर रक्त रत्नमय मंगल का तारा है । इससे तीन योजन ऊपर जाम्बूनदमय शनि का तारा है ।
x दिगम्बर आम्नाय के मिथ्याखण्डनसूत्र में लिखा है-चन्द्रमा का विमान सामान्यतः १८०० कोस चौड़ा है ! सूर्य का विमान १६०० कोस चौड़ा है और ग्रह एवं नक्षत्रों के विमान जघन्य १२५ कोस और उत्कृष्ट ५०० कोस के चौड़े हैं। इसी प्रकार समतल भूमि से १६००००० कोस सूर्य का विमान और १७६०००० कोस चन्द्रमा का विमान है । : जोतिषियों के विमान उठाने वाले, जितने-जितने देव कहे हैं, उनके ४ विभाग करना । जिसमें एक विभाग पूर्व दिशा में, सिंह के रूप में, दूसरा विभाग दक्षिण में, हस्ती के रूप में, तीसरा विभाग पश्चिम दिशा में, बैल के रूप में और चौथा उत्तर दिशा में, घोड़े के रूप में विमान उठा कर फिरते हैं ।