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अरिहन्त
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भोग में श्राती हैं। वीस पल्योपम से एक समय अधिक से ३० पल्योपम तक की युवाली देवियाँ सातवें देवलोक के देवों के भोग में आती हैं। तीस पल्योपम से एक समय अधिक से चालीस पल्योपम तक की आयु वाली देवियां नौवें देवलोक के देवों के भोग में आती हैं। चालीस पल्योपम से एक समय अधिक से पचास पल्योपम तक की आयु वाली देवियाँ ग्यारहवें देवलोक के देवों के भोग में आती हैं।
दूसरे देवलोक में अपरिगृहीता देवियों के चार लाख विमान हैं। इनमें रहने वाली देवियों की आयु जघन्य एक पल्योपम से कुछ अधिक है और उत्कृष्ट पचपन पल्योपस की है। इनमें से एक पल्योपम की आयु वाली देवियां ही दूसरे देवलोक के देवों के परिभोग में आती हैं। एक पल्योपम से एक समय से अधिक और पन्द्रह पल्योपम तक की आयु वाली देवियाँ चौथे देवलोक के देवों के भोग में आती हैं । पन्द्रह पल्योपम से समयाधिक और पच्चीस पोषम तक की आयु वाली देवियाँ छठे देवलोक के देवों के भोग में आती हैं । पच्चीस पल्योपम से समयाधिक और ३५ पल्योपम तक की
वाली देवियाँ आठवें देवलोक के देवों के भोग में आती हैं । ३५ पल्योपम से समयाधिक और ४५ पल्योपम तक की आयु वाली देवियाँ दसवें देवलोक के देवों के भोग में आती हैं और ४५ पल्योपम से समयाधिक तथा ५५ पल्योपम तक की आयु वाली देवियाँ बारहवें देवलोक के देवों के भोग में आती है ।
पहले और दूसरे देवलोक के देव मनुष्यों की तरह कामभोग का सेवन करते हैं। तीसरे चौथे देवलोक के देव देवी के स्पर्शमात्र से तृप्त हो जाते हैं । पांचवें छठे देवलोक के देव देवियों के विषयजनक शब्द सुनने मात्र से तृप्त हो जाते हैं। सातवें आठवें देवलोक के देव, देवी के अंगोपांगों को देखने से ही तृप्त हो जाते हैं। यहां तक के देव पहले और दूसरे देवलोक की परिगृ
ता देवियों को अपने स्थान पर ले जा सकते हैं। नौवें, दसवें, ग्यारहवें और बारहवें देवलोक के देव अपने स्थान पर जब भोग की इच्छा करते हैं, तो प्रथम या दूसरे देवलोक में रही हुई, उनके भोग में जाने योग्य देवियों