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* धर्म प्राप्ति
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काल में से नौ कौड़ाकोड़ी सागरोपम जितने काल में युगलिया मनुष्य ही रहते हैं । वे भी धर्माराधना नहीं कर सकते । सिर्फ एक कोड़ाकोड़ी सागरोपम से कुछ अधिक काल ही धर्म की प्रवृत्ति का रहता है। इन दस क्षेत्रों में, प्रत्येक क्षेत्र में बीस-बत्तीस हजार देश हैं । इन में से ३१६७४ || अनार्य देश हैं और सिर्फ २५|| देश श्रार्यदेश हैं,
श्रार्य देशों के नाम इस प्रकार हैं: - (१) मगध देश – इसकी राजधानी राजगृही नगरी है और इस देश में एक करोड़ छ्यासठ लाख ग्राम हैं । (२) अंगदेश - राजधानी चम्पा नगरी और पचास लाख ग्राम (३) बंगदेशताम्रलिप्ता नगरी और अस्सी हजार ग्राम । (४) कलिंग देश – कंचनपुर नगर और अठारह हजार ग्राम । ( ५ ) काशी देश - वाराणसी नगरी और एक लाख पंचानवे हजार ग्राम । (६) कौशलदेश - साकेतपुर नगर और नौ हजार ग्राम । (७) कुरुदेश – गजपुर नगर, पंचावन हजार ग्राम । (८) कुशावर्त देश - सौरीपुर नगर और छयासठ हसार ग्राम । (६) पांचाल देश - कंपिलपुर नगर और तीन लाख, तेरासी हजार ग्राम । (१०) जांगलदेश-छत्ती नगरी और अट्ठाईस हजार ग्राम । ( ११ ) विदेह देश - मथुरा नगरी, श्राठ हजार ग्राम । (१२) सोरठ देश - द्वारिका नगरी, छह लाख अस्सी हजार तीन सौ तेईस ग्राम । (१३) बत्सदेश - कौशाम्बी नगरी, अट्ठाईस हजार ग्राम । (१४) सांडिल देश - आनंदपुर नगर, इक्कीस हजार ग्राम । (१५) मलय देश – भद्दिलपुर नगर, सात हजार ग्राम । (१६) वराड - बहुलपुर नगर, अट्ठाईस हजार ग्राम । (१७) वरणदेश - अछा, नगरी, बयालीस हजार ग्राम । (१८) दशार्ण देश - मृतिकावली नगरी, तेतालीस हजार ग्राम । (१६) बेदका देश – सोक्कितावती नगरी, तेतालीस हजार ग्राम । (२०) सिंधुदेश - वीतभय पट्टन, छह लाख पचासी हजार ग्राम । (२२) सौवीर देश -- मथुरा नगरी, आठ हजार ग्राम । (२२) सुरसेन देश – पावापुर नगर, छत्तीस हजार ग्राम (२३) भंगदेश – मिश्रपुर नगर, एक हजार चार सौ वीस ग्राम । (२४) कुणाल देश - श्रावस्ती नगरी, तेतीस हजार ग्राम । (२५) लाट देश - कोटिपर्व नगरी, दो लाख बयालीस हजार ग्राम । ( २५ ॥ ) केकय देश - श्वेताम्बिका नगरी, दो हजार पाँच सौ ग्राम । यह २५|| देश धर्म कर्म वाले हैं, इसलिए