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जैन-तत्र प्रकाश
इन सब प्रमाणों से निश्चित समझना चाहिए कि जैनधर्म गौतम ऋषि से भी पहले का है।
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कुछ लोगों का खयाल है कि जैनधर्म, बौद्धधर्म की शाखा है। किन्तु यह कथन भी सत्य नहीं है । इस खयाल की असत्यता में अव विद्वानों को तनिक भी सन्देह नहीं रह गया है । कुछ पाश्चात्य विद्वानों ने अपने अधूरे अध्ययन के आधार पर यह भ्रमपूर्ण विचार प्रकट किया था । मगर विशेष अध्ययन करने के पश्चात् पाश्चात्य विद्वानों ने ही उस विचार को गलत मान लिया है और अब यह प्रायः सर्वसम्मत तथ्य बन चुका है कि जैनधर्म एक स्वतन्त्र और बौद्धधर्म से बहुत प्राचीन धर्म है ।
जैन और बौद्ध मान्यताओं पर थोड़ा-सा दृष्टिपात करते ही प्रतीत हो जाता है कि महावीर और बुद्ध अलग-अलग व्यक्ति थे और दोनों का धर्म अलग-अलग था । यहाँ नमूने के तौर पर कुछ बातों का उल्लेख किया जाता है:
(१) महावीर स्वामी का जन्म 'क्षत्रियकुण्ड' में हुआ था और बुद्ध ( शाक्य सिंह) का जन्म कपिलवस्तु में ।
(२) महावीर स्वामी जब अट्ठाईस वर्ष के थे तब तक उनकी माता और पिता दोनों विद्यमान थे, जब कि बुद्ध की माता का उनका जन्म होते स्वर्गवास हो गया था ।
(३) महावीर स्वामी ने अपने बड़े भाई से श्रज्ञा प्राप्त करके दीक्षा ली, जब कि म० बुद्ध ने बिना किसी से कहे-सुने चुपचाप निकल कर दीक्षा ली।
(४) श्री महावीर स्वामी की विराट साधना का काल साढ़े बारह वर्ष और पन्द्रह दिन था, जब कि बुद्ध का तपश्रर्याकाल सिर्फ छह वर्ष का
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