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* सागारधर्म-श्रावकाचार *
कारागार की सज़ा आदि का पात्र होता है, बहुतों का विरोधी और अविश्वासपात्र बनता है, बेइज्जत होता है। इसलिए अपने तथा अपने देश के हित फरने वाले कानूनों का श्रावक को कभी भंग नहीं करना चाहिए।
(४) कूटतुलामानोन्मान-अर्थात् खोटा तोल, खोटा माप रखना आदि भी अतिचार है । कितने ही लोभी वनिये अन्याय से धनोपार्जन करने के लिए व्यापार में दगाबाजी और बेईमानी करते हैं। वे दूसरों से माल लेने के लिए बड़े माशा, तोला, सेर, पंसेरी, धड़ा, मन आदि तोलने के बाँट रखते हैं तथा पायली, तपेला, गज, फुट आदि नापने के साधन भी बड़े रखते हैं मगर देने के लिए छोटे रखते हैं और दिखलाने के लिए बराबर रखते हैं। इस प्रकार तीन तरह के बाँट तथा नाप रखकर चालाकी और बेईमानी करते है। इसी तरह माल तोलते समय तराजू की डंडी दवा देते हैं, पलड़ा झुका देते हैं, गज को सरका देते हैं, गिनती में गड़बड़ कर देते हैं। ऐसे कुकर्म करके भोले लोगों को तथा गरीबों को छलते हैं। बेचारे गरीब आदमी दिन भर तन तोड़ कठिन परिश्रम करते हैं, तब कहीं चार-छह पाने प्राप्त कर पाते हैं। उन्हीं पर उनका सारा कुटुम्ब निर्भर रहता है। ऐसे गरीबों को भी जो लोग ठगते हैं के साहूकार भले कहलाते हों परन्तु हैं कठोर हृदय चोर ।* ऐसा विश्वासघाती और घोर जुल्मी धन्धा करने में तात्कालिक कुछ लाम दीखता है किन्तु परिणाम में बड़ी हानि उठानी पड़ती है। ऐसा करने से
* इस समय मिलावटी वस्तुओं का प्रचार बहुत अधिक बढ़ गया है। विदेशी शक्कर में हड़ियों का चरा मिला होता है। उसे श्वेत और स्वच्छ करने के लिए गाय और सुमर का रक्त छाँट कर धोते हैं । घी में गाय, भैंस, बैल आदि की चर्बी मिलाई जाती है। कैसर में गौ की नसों के बारीक चंथे से बनाकर स श्रर की चर्बी और रक्त मिलाया जाता है। मिल के कपड़ों में चर्ची लगाई जाती है । किसी-किमी साबुन में भी चर्षी मिलाई जाती हैं। इस प्रकार सर्व साधारण के सदा उपयोग में आने वाली वस्तुओं को अपवित्र और-भ्रष्टकर दिया गया है। पैसे के लोभी और शौकीन लोग जाति और धर्म का तनिक भी खयाल न रखते हुए ऐसी पवित्र वस्तुओं का उपयोग करने में संकोच नहीं करते हैं और 'पंचेन्द्रिय जीवों की हिंसा में निमित्त बनते हैं, जिससे नरक गति के अधिकारी बनते हैं । विचारशील पुरुषों का कर्तव्य है कि अपने मन को और अपनी जीभ को वश में रख कर ऐसी धर्मभ्रष्ट करने वाली वस्तुओं का कदापि उपयोग न करें।