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* सागारधर्म-श्रावकाचार *
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(३) विगय - दूध, दही, घृत, तैल, मिठाई तथा तली हुई वस्तु । इन विगयों में से कम से कम एक विगय अवश्य त्यागना चाहिए ।
(४) पन्नी - जूता, मोजा, खड़ाऊँ यदि पैर में पहरने की वस्तुओं की मर्यादा |
(५) ताम्बूल सुपारी, लौंग, इलायची, चूरन, खटाई आदि की मर्यादा |
(६) कुसुम - तमाखू (सूँघनी), अतर, घृत, पुष्प आदि सूँघने की वस्तुएँ । (७) वस्त्र --पहरने - ओढ़ने के वस्त्रों की मर्यादा |
(८) शयन - - पलंग, खाट, गादी, सतरंजी आदि बिछाने की वस्तुओं की मर्यादा |
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(६) वाहन - - घोड़ा, बैल, गाड़ी, तांगे, रेल, मोटर साइकिल, जहाज, नाव आदि सवारियों की मर्यादा ।
(१०) विलेपन - तेल, पीठी, केसर, चन्दन, कांच, कंघा तथा हाथ धोने के काम आने वाली मिट्टी, राख आदि की मर्यादा ।
(११) श्रब्रह्म - स्त्री-पुरुष के साथ संभोग करने की मर्यादा ।
(१२) दिशा - पूर्व आदि छह दिशाओं में गमनागमन करने की मर्यादा । (१३) स्नान - घोवन -- छोटे-बड़े स्नान की तथा वस्त्र आदि धोने की मर्यादा |
(१४) भक्त -
- खाने-पीने की सब वस्तुओं के समुच्चय वजन की मर्यादा ।
(१५) असि-पंचेन्द्रिय की घात जिससे हो ऐसे तलवार आदि शस्त्रों की तथा सुई, कैंची, लकड़ी, छड़ी आदि की मर्यादा ।
* सचित्त नमक डाल कर बनाया हुआ चूर्ण एक बार वर्षा होने के बाद अचित्त गिना जाता है ।
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