SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 823
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * सागारधर्म-श्रावकाचार * [ ७७७ (३) विगय - दूध, दही, घृत, तैल, मिठाई तथा तली हुई वस्तु । इन विगयों में से कम से कम एक विगय अवश्य त्यागना चाहिए । (४) पन्नी - जूता, मोजा, खड़ाऊँ यदि पैर में पहरने की वस्तुओं की मर्यादा | (५) ताम्बूल सुपारी, लौंग, इलायची, चूरन, खटाई आदि की मर्यादा | (६) कुसुम - तमाखू (सूँघनी), अतर, घृत, पुष्प आदि सूँघने की वस्तुएँ । (७) वस्त्र --पहरने - ओढ़ने के वस्त्रों की मर्यादा | (८) शयन - - पलंग, खाट, गादी, सतरंजी आदि बिछाने की वस्तुओं की मर्यादा | -- (६) वाहन - - घोड़ा, बैल, गाड़ी, तांगे, रेल, मोटर साइकिल, जहाज, नाव आदि सवारियों की मर्यादा । (१०) विलेपन - तेल, पीठी, केसर, चन्दन, कांच, कंघा तथा हाथ धोने के काम आने वाली मिट्टी, राख आदि की मर्यादा । (११) श्रब्रह्म - स्त्री-पुरुष के साथ संभोग करने की मर्यादा । (१२) दिशा - पूर्व आदि छह दिशाओं में गमनागमन करने की मर्यादा । (१३) स्नान - घोवन -- छोटे-बड़े स्नान की तथा वस्त्र आदि धोने की मर्यादा | (१४) भक्त - - खाने-पीने की सब वस्तुओं के समुच्चय वजन की मर्यादा । (१५) असि-पंचेन्द्रिय की घात जिससे हो ऐसे तलवार आदि शस्त्रों की तथा सुई, कैंची, लकड़ी, छड़ी आदि की मर्यादा । * सचित्त नमक डाल कर बनाया हुआ चूर्ण एक बार वर्षा होने के बाद अचित्त गिना जाता है । 4
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy