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* जैन-तत्त्व प्रकाश *
स्वरूप, बासठिया, अल्प-बहुत्व, भांगे आदि नाना प्रकार से बतलाये गये हैं। इस सूत्र से सैकड़ों थोकड़े निकलते हैं। इसके मूल श्लोक ७७८७ हैं।
लोक की दुर्गंध ६०० योजन ऊपर तक असर करती है।
राजा
-ठीक, इस बात को जाने दीजिए। मैं दूसरा प्रश्न पूछता हूँ। एक बार मैंने एक अपराधी को लोहे की कोठी में बंद कर दिया । कोठी चारों ओर से मजबूती के साथ बंद कर दी गई थी। थोड़ी देर के बाद कोठी खोल कर देखी गई तो अपराधी की मृत्यु हो चुकी थी। मगर उसके शरीर में से जीव को निकलता मैंने कहीं नहीं देखा। अगर जीव अलग होता तो कोठी में से कहाँ से और कैसे निकल गया होता ?
मुनि - किसी गुफा का दरवाजा मजबूती के साथ बंद करके कोई आदमी जोर से ढोल बजाये तो ढोल की आवाज बाहर आती है या नहीं ?
राजा - आती है।
मुति-- इसी प्रकार देह रूपी गुप्ता में से जीव निकल जाता है, पर वह दृष्टिगोचर नहीं होता । परमज्ञानी महात्मा ही अपने दिव्य ज्ञान से उसे जान-देख सकते हैं ।
राजा -- एक चोर को मैंने कोठी में बंद करवाया था । कोठी चारों ओर से अच्छी तरह बंद कर दी थी । बहुन दिन बीत जाने पर मैंने उस चोर को बाहर निकलवाया । देखा, उसके शरीर में असंख्य कीड़े पड़ गये थे । बतलाइए, बंद कोठी में कीड़े कैसे घुस गये ?
प्रकार
मुनि - लोहे के ठोस गोले को आग में तपाया जाय तो उसमें चारों ओर से जिस प्रवेश करती है, उसी प्रकार बंद कोठी में, चोर के शरीर में कीड़े उत्पन्न हो ये अर्थात् बाहर से आकर जीव कीड़े के रूप में उत्पन्न हो गये ।
राजा - जीवात्मा सदा एक सरीखा रहता है या छोटा-बड़ा, कम-ज्यादा भी होता है ?
मुनि - जीवात्मा स्वयं सदैव एक समान ही रहता है ।
राजा - ऐसा है तो जवान आदमी के हाथ से जिस प्रकार बाण छूटता है, उसी प्रकार बूढ़े आदमी के हाथ से उसके बूढ़े हो जाने पर क्यों नहीं छूटता ?
मनि-जैसे नवीन धनुष पर बाण चढ़ाकर फेंका जाय तो वह जितनी दूर जाता है, उतनी दूर पुराने धनुष पर चढ़ाया बाण नहीं जाता, यही बात जवान और बूढ़े आदमी के संबंध में समझना चाहिए ।
राजा - जवान आदमी जितना बोझ उठा सकता है, उतना बूढ़ा नहीं उठा सकता इसका क्या कारण है ?
मुनि - नवीन छींका जितना वजन सहार सकता जवान और बूढ़े के बोझ उठाने के संबंध में समझना चाहिए ।
उतना पुराना नहीं। यही बात
राजा - मैंने एक जीवित चोर को तुलवाया। फिर उसके गले में फाँसी लगाई गई और उसके मर जाने पर उसे फिर तुलवाया। उसका वजन पहले जितना ही था। जीव