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ॐ श्राचार्य
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(३) तीसरी प्रतिमा में तीन मास तक तीन आहार की और तीन दात पानी की लेना।
(५) चौथी प्रतिमा में चार मास तक चार दात आहार की और चार दात पानी की लेना।
(५) पाँचवीं प्रतिमा में पाँच मास तक पाँच-पाँच दात आहार-पानी की लेना।
[६] छठी प्रतिमा में छह मास तक छह दात आहार की और छह दात पानी की लेना।
[७] सातवीं प्रतिमा में सात मास तक सात दात आहार की और सात दात पानी की लेना।
[८] आठवीं प्रतिमा में सात दिन तक चौविहार एकान्तर तप करना, दिन में सूर्य की आतापना लेना, रात्रि में वस्त्र-रहित रहे, चारों प्रहर रात्रि में सीधा [चित] लेटा रहे या एक करवट से सोता रहे अथवा कायोत्सर्ग में बैठा रहे -इन तीन आसनों में से कोई भी एक आसन कर; देव, मनुष्य या तिर्यञ्च सम्बन्धी उपसर्ग पाएँ तो शान्ति और धैर्य के साथ सहन करेचलायमान न हो-क्षोभ को प्राप्त न हो ।
(E) नौवीं प्रतिमा आठवीं के समान ही है । विशेषता यह है कि दंडासन, लगुडासन अथवा उत्करासन में से कोई एक आसन करके सारी रात्रि व्यतीत करे । सीधा खड़ा रहना दण्डासन कहलाता है । पैर की एड़ी
और मस्तक का शिखास्थान जमीन पर लगाकर, सारा शरीर कमान के समान अधर रखना लगुडासन कहलाता है और दोनों घुटनों के बीच में सिर झुका रखना उत्कटासन कहलाता है । इन तीनों में से कोई एक आसन सारी रात करे।
[१०] दसवीं प्रतिमा- यह भी आठवीं के ही समान है । विशेषता यह है कि गोदुहासन, वीरासन और अम्बकुञ्जासन में से कोई एक आसन