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ग्रात्मतत्व- विचार
विचारने लगा - 'मत्री न्याय से चलने वाला है, इसलिए अत्यन्त लोकप्रिय है । अगर उसका यकायक वध कर दूँगा, तो बडी उत्तेजना फैलेगी और मुझे राज्य मे रहना मुकिल हो जायेगा । इसलिए पहले उसे अपराधी प्रमाणित करना चाहिए और इसके लिए अगरक्षक का खून करनेवालो को पकडवा मँगाना चाहिए | उनमे वास्तविकता का पता जरूर मिले सकेगा ।'
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राजा का हुक्म होते ही आदमी छूटे । हत्यारे पैदल भाग रहे थे, जब कि ये लोग घोडे पर सवार थे । इसलिए, इन्होंने कुछ ही ढेर में हत्यागे को पकड़ लिया और राजा के सामने पेश किया ।
राजा ने डॉट कर पूछा - " तुमने मेरे अगरक्षक हजाम को क्यों मारा ?" हत्यारो ने कहा - "हमने आपके अगरक्षक हजाम को नहीं, बल्कि मंत्री को मारा है । उसके हाथ में पहनी हुई मुद्रा उसकी निशानी है । "
इन शब्दो के सुनते ही राजा को तथ्य रोगन हो गया, फिर भी अधिक खातरी करने के लिए हत्यारो से पूछा - " तुमको इस काम के लिए किसने नियुक्त किया था ? सच बोलो, नहीं तो सर उडा दिया जायेगा । "
हत्यारो ने सच्चे नाम बता दिये ।
उसके व्यान में आ
सुनकर राजा स्तव्ध हो गया हज्जाम तो मत्रीपन का लाभ लेने की कोशिश में जान से हाथ धो बैठा है, यह बात गयी । लेकिन, सामन्तों ने मत्री को मारने के लिए हत्यारे क्यो मेजे ? यह प्रश्न उसके मन में चक्कर लगाने लगा । और, अधिक विचार करने पर वह समझ गया कि, मत्री राज्य का हितैपी है और वह मेरे हक मे जरा भी नुकसान नहीं होने देता, जबकि इन सामन्तो को मुझसे मनमानी करानी हैं, इसलिए इन्होने बीच के कॉटे को दूर करने के लिए, यह पड्यत्र रचा और मंत्री की बजाय हज्जाम मारा गया । अगर में दुस्साहस कर गया होता तो क्या होता ? लोग मुझे क्या कहते १