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आत्मतत्व विचार इन लोगो का कहना क्यो नहीं मानता ? अगर जिन्दगी चाहता है तो इसी वक्त खाले नहीं तो इस मुद्गर से तेरा सर फोड डालॅगा ।"
यात्रार्थी यक्ष को देखकर हर्ष व्वनि करने लगे, पर केशव की स्थिति बडी अटपटी हो गयी । वह सोचने लगा-"अब क्या करना ? यह यक्ष मुझे जिन्दा नहीं छोडेगा। इसका कहा मानकर जान बचाना कि प्रतिज्ञा की रक्षा करके प्राण का बलिदान करना ?” अगर उसकी जगह कोई कच्चा आदमी होता तो वह यक्ष की धमकी में आकर चुपचाप खाने बैठ जाताः पर केगव ने बडी हिम्मत दिखलायी और कह दिया--"आप को जो करना हो सो करो, मै इस वक्त नहीं जीम सकता।" ___ उस वक्त यक्ष ने उसे प्रतिजा देनेवाले गुरु को हाजिर किया और गुरु महाराज कहने लगे-"अब बहुत हुआ। तू बहुतो के भले की खातिर जीम ले।" इस पर केशव विचारने लगा कि, 'जिस गुरु ने मुझे रात में न खाने की प्रतिजा दी, वह मुझसे रात मे खाने के लिये कैसे कह सकते है ? इसमें कुछ दगाबाजी होनी चाहिए।' इसलिए वह चुप खडा रहा । तब यक्ष ने कहा- "अगर तू नहीं मानता तो इस प्रतिजा देनेवाले गुरु को और तुझे दोनो को मार डालूंगा।' यह कहकर उसने गुरु पर मुद्गर का प्रहार किया। गुरु आर्तनाद करने लगे, लेकिन अब भी केगव को लगा"मेरा गुरु तो ऐसा शक्तिशाली है कि, उसे कोई यक्ष इस तरह सता नहीं सकता और वह मुझसे इस तरह खाने के लिए भी न कहेगा, इसलिए मुझे इस धोखे मे नहीं आ जाना चाहिए।'
यक्ष ने देखा कि इससे भी केशव डिगता नहीं है, इसलिए वह गुरु को छोड़कर उस पर झुका और दॉत किटकिटाकर मुद्गर उठाकर बोला"देख मेरी आजा न मानने का नतीजा !” ।
एक महाबलवान् यक्ष का फौलादी मुद्गर सर पर पड़े तो आदमी का क्या हाल हो । पर, वहाँ हकीकत कुछ और ही बनी। उसके सर पर तुला हुआ मुद्गर गायब हो गया, यक्ष भी गायब हो गया, यात्रार्थी भी गायत्र