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अड़तीसवाँ व्याख्यान धर्म का आराधन [२]
महानुभावो !
गणित का एक प्रश्न है कि- 'एक गोकलगाय ( कीट - विशेष ) दिन में दो इच ऊपर चढ़ती है और रात को पौने दो इंच नीचे उतर पडती है, तो ६० फुट के खंभे के शिरे पर वह कब पहुँचेगी " इसका उत्तर कोई भी साधारण गणितज्ञ बता देगा ।
दिन में २ इंच चढ़े और पौने दो इंच नीचे उतरे तो २४ घटे के
एक अहोरात्र में वह पाव इञ्च मात्र चढ़ती है । इस प्रकार प्रतिदिन पाव इञ्च चढकर वह ४ दिनों में १ इञ्च चढेगी । ४८ दिनों में १ फुट चढेगी और २८८० दिनों में वह उसके शिरे पर पहुॅचेगी।
इस गति से गिरे तक पहुँचने में उसे ८ वर्ष लगेगा |
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आप कहेंगे, इतनी मदगति ! पर, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। धर्म के विषय में आपकी गति इससे भी मद है ! धर्म के '६० फुट ऊँचे खभे के शिखर पर आप अस्सी वर्ष में
भी नहीं पहुँच पाते ।
धर्म के मामले में बहुतों की गति मन्द मन्दतर, मन्दतम होती है । कुछ लोग तो दो इच चढ़कर दो इश्र्च उतर पड़ते हैं । ऐसे लोग भला शिखर पर कत्र पहुँचेंगे !
मनुष्य का आयुष्य १०० वर्षों का गिना जाता है । पर, यह १०० वर्ष पूरा करने वाले बहुत ही कम आदमी मिलेंगे । ६०, ७० अथवा