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श्रात्मतत्व-विचार
(७) अच्छे पड़ोस में रहना और मकान ऐसा हो कि, जिसमें बहुत से अति प्रकट और अति गुप्त दरवाजे न हों ।
अच्छे पड़ोस में रहने से जीवन पर अच्छा असर होता है और खराब पड़ोस में रहने से जीवन पर खराब असर होता है । अति प्रकट यानी राजमार्ग पर चोरी आदि का डर विशेष रहता है । और, अति गुप्त यानी गली-कूचे में - वहाँ रहने से घर की शोभा नहीं रहती । इसलिए, ऐसे स्थानो पर रहने का निषेध किया है । बहुत से दरवाजोंवाले घर मे रहने से धन और स्त्रियो की रक्षा नहीं हो सकती ।
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( ८ ) पाप से डरते रहना ।
( ९ ) प्रसिद्ध देशाचार के अनुसार वतना ।
(१०) किसी का अवर्णवाद ( निन्दा ) न करना । राजा आदि का विशेष रूप से अवर्णवाद न करना; कारण कि उससे सर्वनाश होने का डर रहता है |
( ११ ) खर्च आमदनी के अनुसार रखना । ( १२ ) वैभव के अनुसार पोशाक रखना । (१३) माता-पिता की सेवा करना । (१४) सदाचारी पुरुषों का संग करना ।
(१५) कृतज्ञ रहना किसी ने छोटा-सा भी उपकार किया हो तो उसे नहीं भूलना !
( १६ ) अनीर्ण हो तो जीमना नहीं ।
( १७ ) समय पर, प्रकृति के अनुकूल, आसक्तिरहित हो भोजन करना ।
(१८) सदाचारियो और ज्ञानवृद्धों की सेवा करना ।
( १९ ) निंद्य काम में प्रवृत्त नहीं होना । जो काम समाज मे अधम, हल्का या निंद्य गिना जाता हो, उसमें प्रवृत्ति करने से प्रतिष्ठा का नाश होता है और प्रतिष्ठा का नाश होने पर सर्वनाश हो जाता है ।