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धर्म का आराधन
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हूँ।" फुरंगी घर के पीछे गयी और ताजा गोबर ले आयी। उसमे आटा मसाला आदि डालकर उसका बड़ा बनाया.और सुरगी को दे दिया।
सुरगी उसे लेकर गयी और सुभट के आगे रखकर चोली-"देखो! शाक में से कितनी सुन्दर बास आ रही है। सुभट भोजन करने लगा। उसने सुरगी के हाथ का भोजन कम और फुरगी का शाक अधिक खाया ।
और, बार-बार फुरगी के शाक की प्रशसा करता रहा । ___इस दृष्टान्त मे आप समझ गये होंगे कि, पक्षपात से निसका मन अधा हो गया हो, वह सत्य बात नहीं समझ सकता ।
विशेष अवसर आने पर !