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धर्म के प्रकार
फिर उसने बिलकुल बंकचूल की सी पोशाक पहनी और वह उसकी पत्नी के साथ बाहर आकर बैठी। नाटक रात को देर तक चलता रहा | फिर, वह नाटकियो को यथेष्ट दान देकर घर में आयी और उस पोशाक मे ही अपनी भाभी के साथ सो रही । भवितव्यता के योग से बंकचूल उसी रात को वापस लौटा और रात रहते ही अपने घर आया । वहाँ अपनी पत्नी के साथ एक पुरुष को सोता देखकर वह एकदम गुस्से में आ गया और उसका घात करने के लिए अपनी तलवार म्यान से निकाल ली । उस समय उसे अपना नियम याद आया कि, किसी पर शस्त्र का प्रहार करना हो तो सात कदम पीछे हटना । उस नियम के पालनार्थ वह पीछे हटने लगा । जब सातवाँ डग भरा तो तलवार दीवाल से टकरायी और उसकी आवाज से उसकी बहन जाग गयी और "क्षमा मेरे वीर !” कहती हुई एक तरफ खड़ी हो गयी । फिर, उसकी पत्नी भी जाग गयी ! बहन ने सारी बात सुनायी तो उसके मन का समाधान हुआ । दूसरा नियम भी बड़ा लाभकारक निकला, यह विचार कर उसे अत्यन्त आनन्द हुआ । अगर वह नियम न होता तो अपनी बहन का खून अपने ही हाथों हो जाना निश्चित था ।
एक बार बकचूल चोरी करने के लिए गुप्त रीति से राजमहल में प्रविष्ट हुआ । उस समय अत्यन्त सावधानी रखने पर भी उसका हाथ रानी से स्पर्श कर गया और वह जाग गयी । उस दिन कारणवश राजा निकटवर्ती खड में सोया हुआ था, इसलिए रानी अकेली थी । दासियाँ भी बगल के कमरे मे सो रही थीं। इस तरह एकान्त और प्रौढ पुरुष का योग देख कर रानी का मन विचलित हो गया । वह धीमें से बोली - "ओ पुरुष ! तू अगर यहाँ धन-माल की इच्छा से आया है, तो मैं धन-माल पुष्कल दूँगी, पर तू मेरे साथ भोग कर !"
बकचूल ने कहा - " मै नियम से बँधा हुआ हूँ, इसलिए मुझसे ऐसा नहीं हो सकता ।" एक राजरानी, फिर यौवनमस्त और वस्त्रालकार से