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कर्मवन्ध और उसके कारणों पर विचार
४०१ चारित्र के बिना कोई आत्मा मोक्ष में न गया, न जाता है और न जायेगा। मोक्ष-मन्दिर में पहुंचाने के लिए चारित्र आखिरी कदम है । सम्यग्दर्शन, सम्यक्जान और सम्यक्चारित्र इन तीन रत्नो से ही मोक्षमार्ग मिलता है। ___ श्रद्धा हो, जान हो, पर चारित्र न हो, तो भव भ्रमण नहीं रुक सकता। श्रद्धायुक्त ज्ञान ही सच्चा जान है; पर उसके साथ चारित्र अवश्य चाहिए। जो सिर्फ ज्ञान को लेते हैं और चारित्र को छोड़ देते हैं, वे ससार-चक्र से बाहर नहीं निकलते।
जान आँख है, चारित्र हाथ-पैर | आदमी को आँख हो, पर हाथ-पैर न हों तो जिन्दगी कैसे चल सकती है ? __ आत्मा का उद्वार करने के लिए चारित्र आवश्यक है और वह अविरति का त्याग करने से ही प्रकट होती है
अविरति का त्याग आवश्यक क्यों ? आप रात को सोते हैं तो घर का दरवाजा खुला रखते हैं या बन्द ? चन्द्रगुप्त के समय मे लोग दरवाजे बन्द नहीं करते थे, क्योंकि उस समय चोरी का नाम-निशान नहीं था। परन्तु आज ? आज तो सोने से पहले दरवाजे में ६, ७ या ८ 'लिवर' का मजबूत ताला लगाने की आवश्यकता पड़ती है। यदि ताला न लगायें तो प्रातःकाल पूरा मकान साफ दिखलायी पड़े-न एक बक्स रहे, न कपड़ा, न पैसा और न भोजन पानी ! अविरति का अर्थ है, वस्तुत. द्वार खोलकर सोना! और, उसका फल यह होता है कि, पाप रूपी चोर घर में घुसकर सद्गुणों की समस्त सम्पत्ति उठा ले जाते हैं। ____ यदि खेत में मजबूत बाड़ न रहे और खुला छूटा रहे तो रास्ते से जाते जानवर उगी हुई पूरी फसल ही खा जायें। और, उसका फल यह हो कि, मालिक को अपना सिर कूटना पड़े।
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