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धर्म की पहिचान
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करने लगा | पर, चोरी कहाँ तक चलती ? एक बार वह पकड़ा गया और राजा के सामने पेश किया गया। राजा ने उसे देशनिकाला दे दिया ।
उन दिनों रिवाज यह था कि, जिसका देशनिकाला करते उसके सर के बाल साफ कर देते, उस पर चूना लगाते । ____गले मे जूतों का हार पहनाते, और उसे गधे पर बैठाकर उसे नगर मे बाहर ले जाते । वहाँ से उसे देश छोड़कर चला जाना पड़ता। ___ घूमता-फिरता वह एक अटवी में पहुंचा। वहाँ उसे चोरों ने ले जाकर अपने सरदार के सामने पेश किया। सरदार आदमी का पारखी या। उसने दुर्धर के लक्षणों से जान लिया कि, यह आदमी हमारे काम का है। उसने दुर्धर की इच्छा पूछी। उसने कहा कि, 'अगर आप मुझे अपने साथ रखना चाहते हैं, तो मै रहने को तैयार हूँ।'
उस दिन से दुर्धर चोरों के साथ रहने लगा और उनके बताये हुए तमाम काम करने लगा। इससे सरदार बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने उसे अपना पुत्र बनाकर चोरों का राजा बना दिया।
दुर्धर बड़ा साहसी था। बड़ी-बड़ी चोरिया करता तथा डाके भी डालता । जो उसका सामना करता उसका वह सर उड़ा देता । उसका प्रहार कभी खाली नहीं जाता था, इसलिए उसका नाम दृढप्रहारी पड़ गया।
एक बार उसने कुशस्थल नगर पर डाका डाला। वह नगर सैनिकों से रक्षित था। इसलिए, उसे लूटना आसान नहीं था। पर, दृढप्रहारी ने अपने साथ बहुत से जाँबाज चोर ले लिये। उन्होंने सैनिकों को -मार भगाया और नगर मे निर्द्वन्द्व लूटपाट प्रारम्भ कर दी।
उस समय एक चोर एक ब्राह्मण के घर में घुसा । ब्राह्मण बहुत गरीब था और भिक्षाचरी से निर्वाह करता था। उसके घर में लूटने योग्य कुछ नहीं था। पर, उस रोज बालकों के हठ करने पर मॉग जाँच कर ब्राह्मण